कुशनाभ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- विश्वामित्र एक उच्च कुल में जन्मे क्षत्रिय नरेश थे इनके वंश में प्रजापति , कुश , कुशनाभ और राजा गाधि जैसे महान पराक्रमी , शूरवीर एवं धर्मपरायण राजा हुए थे जिनमें से विश्वामित्र जी एक राजा गाधि के पुत्र हु ए.
- विश्वामित्र एक उच्च कुल में जन्मे क्षत्रिय नरेश थे इनके वंश में प्रजापति , कुश , कुशनाभ और राजा गाधि जैसे महान पराक्रमी , शूरवीर एवं धर्मपरायण राजा हुए थे जिनमें से विश्वामित्र जी एक राजा गाधि के पुत्र हु ए.
- किन्तु दम्भाये पवनदेव को , इसमें अपना अपमान नज़र आया , क्रोधाविष्ट उनके तन में प्रविष्ट हो , वायु ने पल में विकृत करवाया | अपनी पुत्रियों को ऐसे देख कर , बड़ा अवसाद हुआ तब राजा को , फिर भी सद्गुणी कुशनाभ ने , क्षमादान दिया गर्वित पवनदेव को ||
- पिता जी हमें जिसके हाथ में दे देंगे , वही हमारा पति होगा ] ऐसी पितृ भक्त कन्याओं को जब वायुदेव ने कुपित होकर उनके भीतर प्रवेश कर उनके अंगों को टेढ़ा कर कुबड़ी बना दिया तब पिता कुशनाभ द्वारा चयनित ऐश्वर्यशाली तेजस्वी वर ब्रह्मदत्त के साथ विवाहकाल में हाथ के स्पर्श होते ही सभी कन्यायें कुब्जत्व दोष से रहित , निरोग तथा उत्तम शोभा से संपन्न हुई .
- राजा कुशनाभ की अत्यंत सुन्दर अंगों वाली पुत्रियाँ एक दिन उद्यान भूमि में गति , नृत्य करती आनंद मग्न हो रही थी तब उनके रूप-यौवन पर आसक्त होकर वायु देवता ने उनसे कहा - '' अहम् ... ... भविष्यत '' - [ श्लोक- १ ६ - १ ७ , पृष्ठ ९ ६ , बाल कांड त्रियस्त्रिश : सर्ग : -श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण ] [ अर्थात-सुन्दरियों मैं तुम सबको अपनी प्रेयसी के रूप में प्राप्त करना चाहता हूँ ! तुम सब मेरी भार्यएं बनोगी .
- मेरे साथ सम्बन्ध हो जाने से तुम लोग अक्षय यौवन प्राप्त करके अमर हो जाओगी ! ] वायु देव के इस प्रस्ताव को सुनकर पतिर -भक्त कुशनाभ कन्याओं का यह प्रतिउत्तर भारतीय संस्कृति में पुत्रियों को दिए गए संस्कारों को प्रदर्शित करते हैं -यथा - '' माँ भूत स कालो ..... नो भर्ता भविष्यति '' [ 21 - 22 श्लोक उपरोक्त ] [ दुर्मते ! वह समय कभी न आवे जब कि हम अपने सत्यवादी पिता की अवहेलना करके कामवश या अत्यंत अधर्मपूर्वक स्वयं ही वर ढूँढने लगें .