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कोकणस्थ का अर्थ

कोकणस्थ अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. सावरकर पुणे की जमीन और कोकणस्थ ब्रह्माणों के बीच से हिन्दुसभा को खड़ाकर सैनिक संघर्ष के लिये 1904 में अभिनव भारत को लेकर ब्रिटिश सरकार को चुनौती दे रहे थे।
  2. आपकी जानकारी के लिए बता दूं जिन कोकणस्थ ब्राह्मणों के पूर्वजों को आप बिहारी बता रहे हैं कम से कम वह जानकारी तो मैं यहीं ग़लत साबित कर सकता हूँ
  3. सावरकर पुणे की जमीन और कोकणस्थ ब्रह्माणों के बीच से हिन्दुसभा को खड़ा कर सैनिक संघर्ष के लिये 1904 में अभिनव भारत को लेकर ब्रिट्रिश सरकार को चुनौती दे रहे थे।
  4. सावरकर पुणे की जमीन और कोकणस्थ ब्रह्माणों के बीच से हिन्दुसभा को खड़ा कर सैनिक संघर्ष के लिये 1904 में अभिनव भारत को लेकर ब्रिट्रिश सरकार को चुनौती दे रहे थे।
  5. लाशों के डीएनए परीक्षण से यह पता चला कि वहां लोगों के कई समूह थे जिनमें शामिल था छोटे कद के लोगों का एक समूह ( सम्भवतः स्थानीय कुलियों) और लंबे लोगों का एक समूह जो महाराष्ट्र में कोकणस्थ ब्रामिंस के डीएनए उत्परिवर्तन विशेषता से निकट संबंधित थे.
  6. [ 2] लाशों के डीएनए परीक्षण से यह पता चला कि वहां लोगों के कई समूह थे जिनमें शामिल था छोटे कद के लोगों का एक समूह (सम्भवतः स्थानीय कुलियों) और लंबे लोगों का एक समूह जो महाराष्ट्र में कोकणस्थ ब्रामिंस के डीएनए उत्परिवर्तन विशेषता से निकट संबंधित थे.
  7. भागवत इस सच को समझ रहे है कि संघ अपनी जमीन नहीं छोड़ सकता इसलिये सावरकर ने अपने दौर में कोकणस्थ ब्राह्मणो को तरजीह दी थी तो भागवत ने भी संघ की जो नयी टीम बनायी उसमें मराठियों को ही सबसे ज्यादा तरजीह भी दी और हर निर्णायक पद पर मराठी स्वयंसेवक को ही बैठाया।
  8. भागवत इस सच को समझ रहे है कि संघ अपनी जमीन नहीं छोड़ सकता इसलिये सावरकर ने अपने दौर में कोकणस्थ ब्राह्मणो को तरजीह दी थी तो भागवत ने भी संघ की जो नयी टीम बनायी उसमें मराठियों को ही सबसे ज्यादा तरजीह भी दी और हर निर्णायक पद पर मराठी स्वयंसेवक को ही बैठाया।
  9. आपकी जानकारी के लिए बता दूं जिन कोकणस्थ ब्राह्मणों के पूर्वजों को आप बिहारी बता रहे हैं कम से कम वह जानकारी तो मैं यहीं ग़लत साबित कर सकता हूँ चौदह विदेशीयों ( श्वेत म्लेच्छ) के शव भारत के पश्चिमी समुद्रि तट (आज का कोकण) पर परशुराम जी को पड़े मिले , अपने जीवन में २१ बार पृथ्वी को नि:
  10. एक ईमानदार , अपने काम से काम रखने वाले, जितनी जरूरत होगी उतना ही बोलने वाले, अपने सिद्धांतों पर टिके और अडे़ रहने वाले, खामख्वाह ना किसी से पंगा लेने वाले ना आसानी से दोस्ती गाँठने वाले, आमतौर पर समय के पक्के पाबन्द, स्वावलम्बी आदि-आदि ऐसी “विशिष्ट” आदतों वाले लोग होते हैं (चितपावन कोकणस्थ ब्राह्मणों की खासियतों पर अलग से एक पोस्ट लिखूँगा) ।
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