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खनकना का अर्थ

खनकना अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. उनका खनकना मुझे अच्छा लगता है , पर उनसे एक मुट्ठी भर सपने भी नहीं खरीदे जा सकते...
  2. वो पायल का छनकना वो कंगन का खनकना , उनकी मीठी बातों की एक धीमी लय सुनाई देती है…
  3. कुछ सम्बन्ध ऐसे होते हैं , जो खोटे सिक्कों की तरह,मेरी जेब में पड़े रहते हैं -...उनका खनकना मुझे अच्छा लगता है,पर उनसेएक मुट्ठी भर सपने भीखरीदे नहीं जा सकते....
  4. अनारो कंदीलों का लरजना वो घी के दिए मोमबत्तियों का जलना वो गेंदे के फूलो से द्वार का सजना वो रिस्तो का खिलखिलाहट से खनकना वो दोस्तों संग मिलकर सभी
  5. कुछ सम्बन्ध ऐसे होते हैं , जो खोटे सिक्कों की तरह, मेरी जेब में पड़े रहते हैं - ...उनका खनकना मुझे अच्छा लगता है, पर उनसे एक मुट्ठी भर सपने भी खरीदे नहीं जा सकते.... | -
  6. सदा -ऐ खामोशी सुनकर भी बना है एक अफसाना , याद है वो उल्फतका मंझर और वो मौसम भी सुहाना , हौले हौलेसे कदम रखते हुए आपकी पायलका वो खनकना, जैसे कह रही है हमें आप यूँ ही हमारे रहना .......
  7. तब हम आकाश को आकाश की तरह जानते थे , रात को सोने और पैरों को पाजेब की तरह , मैंने जब खनकना पहली बार सुना तब मैं उसे एक शब्द की तरह नहीं जानता था , शब्द की तरह जानने के बाद मैं उसे खनकने की तरह नहीं सुन पाया
  8. वो लक्ष्मी के पैरो की अल्पना वो गन्ने की सुंदर लक्ष्मी का बनना वो खील खिलोनो बताशों का बिखरना वो कलाकंद बर्फी बतिशो का जमना वो फूलझडी अनारो कंदीलों का लरजना वो घी के दिए मोमबत्तियों का जलना वो गेंदे के फूलो से द्वार का सजना वो रिस्तो का खिलखिलाहट से खनकना वो दोस्तों संग मिलकर सभी का चहकना वो नए परिध
  9. तू है एक हसीं नगमा जिसे गुनगुनाने को जी चाहता है तू है वो हँसी जिसे होठों पे लाने को जी चाहता है तेरा हँसना मुस्कुराना सितम है जालिम फिर भी तुझे अजमाने को जी चाहता है तेरी चूड़ी तेरी पायल का खनकना जालिम दिल के हर जर्रे पर सितम धाता है तेरे हँसने की खनक तेरे चेहरे की अदा तेरा चुप रहके भी सब कह जाना तेरा चलना चलके थमना फिर यूं इतराना हाय जालिम क़यामत का जैसे मंजर हो . ..
  10. कुछ सम्बन्ध ऐसे होते हैंजो खोटे सिक्कों की तरहमेरी जेब में पड़े रहते हैं . ..उनका खनकना मुझे अच्छा लगता है,पर उनसेएक मुट्ठी भर सपने भीनहीं खरीदे जा सकते...****कुछ सम्बन्धएक मचलती पगडंडी की तरहमेरे पैरों के नीचे से फिसल जाते हैं,और मैं भटकता रहता हूँ...और फिर एक दिन,स्मृतियों के जंगल से,वे निकल कर, वो मुझे फिर से जकड़ लेते हैं,और मैं, दिशा-हीन, एक बार फिर,उन पगडंडियों के साथ,भटकता रहता हूँ....****कुछ सम्बन्ध ऐसे होते हैंजो जीवन की परिधि केपरे होते हैं...और उनका भावनात्मक समीकरणधातु-जगत का कोई भी तर्कनहीं सुलझा पाता है...****
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