गड़ासा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- रीना ने जबाब दिया , देखा वह एक कोने मे दुबकी हुई है और घर के लोग लाठी और गड़ासा लाने के लिए गुहार लगा रहे थे।
- जिरह में साक्षी ने बताया है कि जो गड़ासा व बल्लम अभियुक्त की निशान देही पर बरामद किया गया था वह उनके सामने न्यायालय में नहीं हैं।
- कारिन्दा का चेहरा देखने लगे । “डर गए स्सालो . ... आगे बढ़ो ....।” “बढ़ो आगे .... गर्दन पर गड़ासा पड़ेगा ।” नानी दुर्गा बनी दरवाजे की ओट खड़ी थीं ।
- इस प्रकार उक्त साक्षी ने गड़ासा व बल्लम आदि की बरामदगी की बात तो कही है , परन्तु फर्द उपरोक्त की बरामदगी के गवाह देवता दीन ने बरामगदी की पुष्टि नहीं की है।
- हमें जल्द ही खत्म कर देना चाहिए , इतने पर रामरूप ने मेरे पर गड़ासा चला दिया और अचेत पड़ गयी , दीपक के छोटे भाई देवकुशन व पिता छोटे लाल मुझे गोजी ( लाठी ) से मार रहे थे।
- ' एक गो चुम्मा देहले जइह हो करेजऊ' , या 'अब त चली छुरी गड़ासा, लोगवा नज़र लड़ावेला' या फिर 'आरा हिले, बलिया हिले छपरा हिलेला, हमरी लचके जब कमरिया सारा ज़िला हिलेला' सरीखे भोजपुरी गानों के लिए भिखारी ठाकुर का लोग आज भी दम भरते हैं.
- इतने में मौर्या बिरादरी की तरफ से रामकिशुन , संतोष, झल्लर, अवधेश, सुरेश, मकसूदन, जगसूदन भुन्नू, राजेन्द्र उर्फ ननकउ, रज्जन, ओमप्रकाश, केशवदास, रामभजन आदि लोगो ने गड़ासा व कटवासा बल्लम, कट्टा लेकर वादी के घर पर गाली गुप्ता देते हुए चले आये और कहा कि जान से मार देगे तथा मारने पीटने लगे।
- एक गो चुम्मा देहले जइह हो करेजऊ ' , या ' अब त चली छुरी गड़ासा , लोगवा नज़र लड़ावेला ' या फिर ' आरा हिले , बलिया हिले छपरा हिलेला , हमरी लचके जब कमरिया सारा ज़िला हिलेला ' सरीखे भोजपुरी गानों के लिए भिखारी ठाकुर का लोग आज भी दम भरते हैं .
- उन्होंने बताया कि जिस तरह भाजपा व अन्य भगवा संगठनों के द्वारा यह अफवाह फैलाई गई कि महापंचायत से लौटते हुए जाटों पर मुसलमानों द्वारा हमला होने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़की जैसे बेबुनियाद तथ्यों को रिहाई मंच द्वारा आयोजित जनसुनवाई में वीडियो क्लिप्स द्वारा हम जनता के बीच लाएंगे कि किस तरह भाला , पलकटी , गड़ासा , रिवाल्वर , देशी तमंचों आदि से लैस होकर लोग ट्रालियों से पूरे रास्ते भर सांप्रदायिक गालियां देते हुए निकल रहे हैं।
- उन्होंने बताया कि जिस तरह भाजपा व अन्य भगवा संगठनों के द्वारा यह अफवाह फैलाई गई कि महापंचायत से लौटते हुए जाटों पर मुसलमानों द्वारा हमला होने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़की जैसे बेबुनियाद तथ्यों को रिहाई मंच द्वारा आयोजित जनसुनवाई में वीडियो क्लिप्स द्वारा हम जनता के बीच लाएंगे कि किस तरह भाला , पलकटी , गड़ासा , रिवाल्वर , देशी तमंचों आदि से लैस होकर लोग ट्रालियों से पूरे रास्ते भर सांप्रदायिक गालियां देते हुए निकल रहे हैं।