गुड़धानी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कभी बांद्रा के बैंड स् टेंड पर समुंदर की उनींदी नींद में ढलती शाम के बीच जगजीत मंथर गति से चिड़ियों को दाने , बच् चों को गुड़धानी देने के लिए गुनगुनाते रहे … तो कभी सायन के सन् मुखानंद में सितारा देवी की पग थापों और गुलाम अली के हारमोनियम-तबले की जुगल स् वरलहरियों के बीच नयी साजों की उंगली थामे जगजीत की आवाज जिंदगी के अधूरेपन में राहत देने लगी।
- गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाना , बच्चों को गुड़धानी दे मौला दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नई सलीबें झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा फिर मंदिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हो जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला
- गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाने , बच्चों को गुड़धानी दे मौला दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच-समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला फिर रौशन कर ज़हर का प्याला चमका नयी सलीबें झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा फिर मन्दिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हो जीनेवालों को मरने की आसानी दे मौला - निदा फाज़ली
- गरज-बरस गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाने , बच्चों को गुड़धानी दे मौला दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच-समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला फिर रौशन कर ज़हर का प्याला चमका नयी सलीबें झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा फिर मन्दिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हो जीनेवालों को मरने की आसानी दे मौला - निदा फाज़ली
- बानी माँग रहे अपने सूखे हुए खेत फिर पानी माँग रहे बूढ़ों के वारिस बच्चे ज्यों छानी माँग रहे बादल जी के घर में कैसे इतनी देर हुई फटी चादरों के कोने ज्यों खोई हुई सुई आसों के यह बरस इंद्र गुड़धानी माँग रहे पानी माँग रहे हम तो अपने दिन से लंबी प्यासें साँट रहे घर का दिया अधसना आटा आशें बाँट रहें मेड़ों-से जम गए ओंठ की बानी माँग रहे पानी माँग रहे आधा चैत हुआ आधा चैत हुआ ! कि जैसे पूरा चैत हुआ !!
- कैसा लगा आप सबको मेरा नया लुक . ..... :) गणेश चतुर्थी पर मेरे भी सिंजारे हुए......! राजस्थान में एक खास रिवाज़ है कि गणेश चतुर्थी पर घर के बेटों की मान- मनुहार कर उनके सिंजारे किये जाते है | उन्हें डांडिया, गुड़धानी और लड्डू दिए जाते हैं | इसिलए गणेश चतुर्थी पर मेरे भी सिंजारे हुए | जयपुर में तो प्रसिद्द गणेश मंदिर में ( मोती डूंगरी, गणेश मंदिर) इस मौके पर गणपति बप्पा के भी सिंजारे किये जाते हैं | उन्हें मेहंदी लगाई जाती है और फिर मोदक का भोग लगाया जाता है |
- प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाने , बच्चों को गुड़धानी दे मौला दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच-समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला फिर रौशन कर ज़हर का प्याला चमका नयी सलीबें झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला फिर मूरत से बाहर आकर चारों ओर बिखर जा फिर मन्दिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यों हो जीनेवालों को मरने की आसानी दे मौला - निदा फाज़ली ये तसल्ली है ये तसल्ली है कि हैं नाशाद सब