गोमेध का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मौलाना जी - हमने तो सुना हैं की अश्वमेध में घोड़े की , अज मेध में बकरे की , गोमेध में गों की और नरमेध में आदमी की बलि दी जाती थी .
- सभ्यता की यात्रा में जब नरमेध , गोमेध , अश्वमेध आदि के महारव से भरे हुए , हमारे कर्णरंध्रों में क्षुद्र क्रौंच की दीन क्रंदन-ध्वनि प्रवेश पा लेती है , तब हम चौंक उठते हैं।
- सभ्यता की यात्रा में जब नरमेध , गोमेध , अश्वमेध आदि के महारव से भरे हुए , हमारे कर्णरंध्रों में क्षुद्र क्रौंच की दीन क्रंदन-ध्वनि प्रवेश पा लेती है , तब हम चौंक उठते हैं।
- आरोप २ : यदि ऐसा ही है तो वेदों में आए - अश्वमेध , नरमेध , अजमेध , गोमेध क्या हैं ? ‘ मेध ‘ का मतलब है - ‘ मारना ‘ , यहाँ तक कि वेद तो नरमेध की बात भी करते हैं ?
- आरोप २ : यदि ऐसा ही है तो वेदों में आए - अश्वमेध , नरमेध , अजमेध , गोमेध क्या हैं ? ‘ मेध ‘ का मतलब है - ‘ मारना ‘ , यहाँ तक कि वेद तो नरमेध की बात भी करते हैं ?
- राष्ट्र या साम्राज्य के वैभव , कल्याण और समृद्धि के लिए समर्पित यज्ञ ही अश्वमेध यज्ञ है | गौ शब्द का अर्थ पृथ्वी भी है | पृथ्वी तथा पर्यावरण की शुद्धता के लिए समर्पित यज्ञ गौमेध कहलाता है | ” अन्न, इन्द्रियाँ,किरण,पृथ्वी, आदि को पवित्र रखना गोमेध |” ” जब मनुष्य मर जाय, तब उसके शरीर का विधिपूर्वक दाह करना नरमेध कहाता है | ”
- अन्न को दूषित होने से बचाना , अपनी इन्द्रियों को वश में रखना , सूर्य की किरणों से उचित उपयोग लेना , धरती को पवित्र या साफ़ रखना - ‘ गोमेध ‘ यज्ञ है . ‘ गो ' शब्द का एक अर्थ - ‘ पृथ्वी ' भी है . पृथ्वी और उसके पर्यावरण को स्वच्छ रखना ‘ गोमेध ' है . ( देखें - निघण्टू १ .
- अन्न को दूषित होने से बचाना , अपनी इन्द्रियों को वश में रखना , सूर्य की किरणों से उचित उपयोग लेना , धरती को पवित्र या साफ़ रखना - ‘ गोमेध ‘ यज्ञ है . ‘ गो ' शब्द का एक अर्थ - ‘ पृथ्वी ' भी है . पृथ्वी और उसके पर्यावरण को स्वच्छ रखना ‘ गोमेध ' है . ( देखें - निघण्टू १ .
- राष्ट्र या साम्राज्य के वैभव , कल्याण और समृद्धि के लिए समर्पित यज्ञ ही अश्वमेध यज्ञ है | गौ शब्द का अर्थ पृथ्वी भी है | पृथ्वी तथा पर्यावरण की शुद्धता के लिए समर्पित यज्ञ गौमेध कहलाता है | ” अन्न , इन्द्रियाँ , किरण , पृथ्वी , आदि को पवित्र रखना गोमेध | ” ” जब मनुष्य मर जाय , तब उसके शरीर का विधिपूर्वक दाह करना नरमेध कहाता है | ”
- शतपथ १ ३ / १ / ६ / ३ एवं १ ३ / २ / २ / ३ में कहाँ गया हैं की जो कार्य राष्ट्र उत्थान के लियें किया जाये उसे अश्वमेध कहते हैं , निघंटु १ / १ एवं शतपथ १ ३ / १ ५ / ३ के अनुसार अन्न को शुद्ध रखना , संयम रखना , सूर्य की रौशनी से धरती को शुद्ध रखने में उपयोग करना आदि कार्य गोमेध कहलाते हैं .