गौरांग महाप्रभु का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चैतन्य देव को गौरांग महाप्रभु , चैतन्य महाप्रभु और यहां तक कि संक्षेप में महाप्रभु भी कहा जाता है।
- गौरांग महाप्रभु के वृन्दावनस्थषड्गोस्वामियों ( श्रीरूप, सनातन, जीव, गोपालभट्टव रघुनाथदासजी)में गण्यमानश्रीगोपालभट्टजीकी भगवन्निष्ठाएवं अप्रतिम भगवद्अनुराग को उनके अलौकिक आविर्भाव का सम्पूर्ण श्रेय है।
- आचार्य विश्वंभर मिश्र कालक्रम में चैतन्य महाप्रभु हो जाते हैं ; गौरांग महाप्रभु हो जाते है ; गौरहरि हो जाते है।
- आचार्य विश्वंभर मिश्र कालक्रम में चैतन्य महाप्रभु हो जाते हैं ; गौरांग महाप्रभु हो जाते है ; गौरहरि हो जाते है।
- गौरांग महाप्रभु कहते हैं कि श्रीकृष् ण प्रेम नित् य सिद्ध अनादि उनकी परम अन् तरंग ह्लादिनी शक्ति का सारभूत तत् व है।
- इनमें श्री गौरांग महाप्रभु का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है जो श्री विष्णु चरण की प्रेरणा से ही भारत ख्यात भक्त बने।
- मैं ५-६ वर्ष का अबोध बालक , पिताजी की किसी भी आज्ञा को तत्पर, वहीँ एक किनारे खड़ा था और उन गौरांग महाप्रभु को अपलक निहार रहा था।
- मैं ५ - ६ वर्ष का अबोध बालक , पिताजी की किसी भी आज्ञा को तत्पर , वहीँ एक किनारे खड़ा था और उन गौरांग महाप्रभु को अपलक निहार रहा था।
- गौरांग महाप्रभु कहते हैं कि भई असल में तो बुद्धि बिल् कुल शुद्ध हो , यह कृष् णभक्ति के बिना नहीं हो सकता , क् यों 0 0 थोड़ा और गहराई में चलो।
- ऐसी स्थिति में नीलांचल जाकर श्रीमन्महाप्रभुके दर्शन की तीव्र व्याकुलता के उत्तरोत्तर बढते हुए विरह में परिणित हो जाने पर गौरांग महाप्रभु ने कृपा-प्रसादी स्वरूप डोर , कोपीन,बहिर्वास,पीठासनव स्वयं की हस्तलिखित सन्देश-पत्रिका उनके पास वृन्दावन भेजी।