ग्रहपीड़ा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसके नित्य स्पर्श से रोग-प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि , मन : शुद्धि , आलस्य में कमी , शरीर के आभामंडल की शुद्धि , विचारधारा में धनात्मक परिवर्तन , ग्रहपीड़ा का शमन तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- इसके नित्य स्पर्श से रोग-प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि , मन : शुद्धि , आलस्य में कमी , शरीर के आभामंडल की शुद्धि , विचारधारा में धनात्मक परिवर्तन , ग्रहपीड़ा का शमन तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
- यह वात - रक्त , कुष्ट ,कृमि , वात , कफ , रूधिर त्वचा ,- दोष , ग्रहपीड़ा ,भूतबाधा , और दृष्ट्दोष को नष्ट करती है | तथा पित्त एवं अग्निवर्धक ,रूधिर कारक , हल्की ,कसैली , और तीव्र गंधयुक्त है |
- यह वात - रक्त , कुष्ट ,कृमि , वात , कफ , रूधिर त्वचा ,- दोष , ग्रहपीड़ा ,भूतबाधा , और दृष्ट्दोष को नष्ट करती है | तथा पित्त एवं अग्निवर्धक ,रूधिर कारक , हल्की ,कसैली , और तीव्र गंधयुक्त है |
- ग्रहपीड़ा निवृत्ति हेतु बुध यंत्र : बुध के यंत्र को बुधवार के दिन भोजनपत्र पर अष्टगंध से अनार की कलम से , लिखकर पंचोपचार पूजन कर स्वर्ण यंत्र या तांबे के यंत्र में मढ़वा कर अथवा ताम्र पत्र पर उत्कीर्ण करा कर पंचोपचार पूजन कर के हरे धागे में गूंथ कर सीधे हाथ में या गले में धारण करना चाहिए।
- यह धुएँ तथा धूलि के दोषों को वातावरण से सोखकर पर्यावरण की रक्षा करने वाला एक महत्वपूर्ण वृक्ष है | यह चौबीसों घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है | इसके नित्य स्पर्श से रोग - प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि , मनः शुद्धि आलस्य में कमी , ग्रहपीड़ा का शमन , शरीर के आभामंडल की शुद्धि और विचारधारा में धनात्मक परिवर्तन होता है | बालकों के पीपल स्पर्श बुद्धिवर्धक है | रविवार को पीपल का स्पर्श न करें |
- यह धुएँ तथा धूलि के दोषों को वातावरण से सोखकर पर्यावरण की रक्षा करने वाला एक महत्वपूर्ण वृक्ष है | यह चौबीसों घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है | इसके नित्य स्पर्श से रोग - प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि , मनः शुद्धि आलस्य में कमी , ग्रहपीड़ा का शमन , शरीर के आभामंडल की शुद्धि और विचारधारा में धनात्मक परिवर्तन होता है | बालकों के पीपल स्पर्श बुद्धिवर्धक है | रविवार को पीपल का स्पर्श न करें |