चक्रमर्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चक्रमर्द के पत्ते 2 . 5 से 5 सेमी तक लंबे , अभिलट्वाकार , गोल होते हैं।
- चक्रमर्द ( Cassia tora ) - बारिश के बाद इसकी झाड़ियाँ अपने आप उग आती है .
- चक्रमर्द के पत्ते संयुक्त , पर्णवृंत दो ग्रंथियुक्त और चक्रमर्द के पत्ते तीन जोड़ों में होते हैं।
- चक्रमर्द के पत्ते संयुक्त , पर्णवृंत दो ग्रंथियुक्त और चक्रमर्द के पत्ते तीन जोड़ों में होते हैं।
- चक्रमर्द ( पंवाड़) के बीजों को जल के साथ पीसकर अर्श (बवासीर) के मस्सों पर लगाने से मस्सा ठीक होता है।
- सत्यानाशी की जड ( ताजा), सेंधानमक और चक्रमर्द के बीज इन सभी को 1-1 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।
- चक्रमर्द के पौधे ( क्षुप ) 30 से 150 सेमी तक ऊंचे होते हैं और इनकी आयु एक साल की होती है।
- 10 - 12 पंवाड ( चक्रमर्द ) के पत्तों को , फिटकरी , सेंधानमक के साथ मिलाकर थोड़े पानी में पीसकर टिकिया बना लें।
- चक्रमर्द 2 . कुम्हारों का पात्र जो बरतन बनाते समय हाथ तथा मिट्टी को गीला रखने के लिए पानी भरकर चाक के पास रखा जाता है।
- चक्रमर्द के बीज , जीरा , थोड़ी सी सुदर्शन की जड़ को समान भाग में पीसकर जहां पर दाद हो वहां पर लेप करने से दाद समाप्त हो जाता है।