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चारुकेशी का अर्थ

चारुकेशी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. इसे राग शिवरंजनी , दरबारी , चंद्रकौस , माखा , चारुकेशी , देस , मियां मल्हार और अहीर भैरव से सजाया।
  2. इसे राग शिवरंजनी , दरबारी , चंद्रकौस , माखा , चारुकेशी , देस , मियां मल्हार और अहीर भैरव से सजाया।
  3. राग चारुकेशी एक संपूर्ण जाती कर राग है इसे सुबह ९ बजे से १२ बजे तक के समय में अर्थात दिन के दूसरे प्रहर में गाने बजाने कर रिवाज है ।
  4. इस बार एक ही राग पर आधारित फिल्मी गीत सुनवाए गए , राग चारुकेशी - कृष्ण कन्हैय्या बंसी बजैय्या (फिल्म संत ज्ञानेश्वर)उसके खेल निराले वही जाने अल्ला जाने (नूरी)अकेल हैं चले आओ (राज)गीतों के चुनाव में विविधता नही थी।
  5. राग चारुकेशी दक्षिणात्य पद्धति के चारुकेशी मेल से ही उत्पन्न हैं , इस राग की सम्पूर्ण जाती का राग हैं अर्थात इसमें सभी स्वर लगते हैं ध,नि कोमल हैं बाकी स्वर शुद्ध हैं .प् वादी सा संवादी हैं .
  6. राग चारुकेशी दक्षिणात्य पद्धति के चारुकेशी मेल से ही उत्पन्न हैं , इस राग की सम्पूर्ण जाती का राग हैं अर्थात इसमें सभी स्वर लगते हैं ध,नि कोमल हैं बाकी स्वर शुद्ध हैं .प् वादी सा संवादी हैं .
  7. इस बार एक ही राग पर आधारित फिल्मी गीत सुनवाए गए , राग चारुकेशी - कृष्ण कन्हैय्या बंसी बजैय्या (फिल्म संत ज्ञानेश्वर) उसके खेल निराले वही जाने अल्ला जाने (नूरी) अकेल हैं चले आओ (राज) गीतों के चुनाव में विविधता नही थी।
  8. कि संगीतकार मदनमोहन को पहला राष्ट्रीय पुरस्कार शास्त्रीय राग आधारित एक गीत पर ही मिला था | 1970 की फिल्म “ दस्तक ” के राग “ चारुकेशी ” की ठुमरी - “ बैंया ना धरो . .. ” की संगीत रचना के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया था |
  9. राग पहाडी - मोहब्बत बड़े काम की चीज हैं ( फिल्म त्रिशूल ) राग देसी में बहुत ही कम सुना जाने वाला गीत फिल्म हीर से - गले से लगा ले नजर झुक गई राग चारुकेशी - कृष्ण कन्हैय्या बंसी बजैय्या ( संत ज्ञानेश्वर ) बहुत ही कम प्रचलित राग जिसका नाम भी अलग हैं - राग मालगुंजी की झलक , यह अच्छा हुआ कि अमरकांत जी ने नाम दो बार बताया वरना राग का नाम पहली बार मैं नोट ही नही कर पाई थी।
  10. विभिन्न रागों की झलक लिए यह फ़िल्मी गीत सुनवाए गए - राग पहाडी - मोहब्बत बड़े काम की चीज हैं ( फिल्म त्रिशूल) राग देसी में बहुत ही कम सुना जाने वाला गीत फिल्म हीर से - गले से लगा ले नजर झुक गई राग चारुकेशी - कृष्ण कन्हैय्या बंसी बजैय्या (संत ज्ञानेश्वर) बहुत ही कम प्रचलित राग जिसका नाम भी अलग हैं - राग मालगुंजी की झलक, यह अच्छा हुआ कि अमरकांत जी ने नाम दो बार बताया वरना राग का नाम पहली बार मैं नोट ही नही कर पाई थी।
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