चूहड़ा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जो पुत्र मेहतरानी से हुआ वे रत्नाजी चावरिया कहलाये चूंकि गोगल के रिश्ते से दोनों भाई थे , इसलिए चूहड़ा समाज के लोगों ने इन पर विशेष श्रध्दा दिखाई।
- वैसे इस पर्व की हरिजनों ( चूहड़ा समाज ) में अधिक मान्यता है , पर सभी जातियाँ गुगापीर को मानती है और इनके जन्मदिवस को लोकपर्व के रुप में मनाती हैं।
- इसी हिन्दूकरण को मजबूती देने के लिए पंजाब के श्री अमीचंद शर्मा ने एक पुस्तक ' वाल्मीकि प्रकाश ` लिखी जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि भंगी या चूहड़ा वाल्मीकि वंशज नही अनुयायी है।
- गृहणी ने कहा , ‘नाश पीट्टे, मर जाणे, *चूहड़ा हो जा चूहड़ों में रहण लग्ग...' बालक ने पूछा, ‘माँ! मैं एक टूक चूहड़े के घर का खा कै चूहड़ा हो गिया के? ‘और नहीं तो के', गृहणी ने उत्तर दिया।
- जहां तक वाल्मीकि समाज , डोम, डुमार, हेला, धानुक, चूहड़ा, भंगी एवं मेहतरों आदि द्वारा 'सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा' के उद्भव/प्रारंभ का प्रश्न है, तो इस परिपे्रक्ष्य में सांप्रदायिक लेखन का दुष्प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- अगर ये लोग अपनी सरकारी गैर सरकारी सेवाओं के तहत सफाई कर्मचारी बतौर हरियाणा , दिल्ली , राजस्थान , मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में आ जाएं तो इन्हे वाल्मीकि , मेहतर , हलालखोर , लालबेगी , चूहड़ा कहे जाने वालों के यहां ही रहने-बसने की जगह मिलेगी।
- अगर ये लोग अपनी सरकारी गैर सरकारी सेवाओं के तहत सफाई कर्मचारी बतौर हरियाणा , दिल्ली , राजस्थान , मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में आ जाएं तो इन्हे वाल्मीकि , मेहतर , हलालखोर , लालबेगी , चूहड़ा कहे जाने वालों के यहां ही रहने-बसने की जगह मिलेगी।
- इनकी सामाजिक , धार्मिक तथा सांस्कृतिक स्थिति इतनी दयनीय हो गई कि ये चांडाल से श्वपच , डोम में बंटते चले गए और इसके बाद इन्ही में से मेहतर , हलालखोर , चूहड़ा आदि का आर्विभाव हुआ तथा इनमें विभिन्न जातियों का भी समावेश होता गया।
- इनकी सामाजिक , धार्मिक तथा सांस्कृतिक स्थिति इतनी दयनीय हो गई कि ये चांडाल से श्वपच , डोम में बंटते चले गए और इसके बाद इन्ही में से मेहतर , हलालखोर , चूहड़ा आदि का आर्विभाव हुआ तथा इनमें विभिन्न जातियों का भी समावेश होता गया।
- इसका एक प्रतिबिम्बन आज भी बेधड़क जारी सर पर मैला ढोने की प्रथा में मिलता है , जिसमें लगभग आठ लाख लोग आज भी मुब्तिला हैं जिनमें 95 फीसदी महिलाएं हैं और जो लगभग स्वच्छकार समुदाय कही जानेवाली वाल्मीकि , चूहड़ा , मुसल्ली आदि जातियों से ही आते हैं।