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चेतन-शक्ति का अर्थ

चेतन-शक्ति अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. कुण्डलिनी-शक्ति ( Serpent Fire ) - मूलाधार स्थित ‘ मूल ' जो शिव-लिंग कहलाता है , में साढ़े तीन फेरे में लिपटी हुई , सर्पिणी की आकृति की एक सूक्ष्म स्वतन्त्र नाड़ी होती है जिसमें आत्मा ( सः ) रूप शब्द-शक्ति अथवा चेतन-शक्ति पहुँचकर ‘ अहम् ' रूप जीव में परिवर्तित हो जाती है।
  2. अब जब जीव उर्ध्व गति के माध्यम से पुनः शिव बनना चाहता है , तब तो कुण्डलिनी-शक्ति मूल से उठकर सुषुम्ना के सहारे नाना प्रकार की उर्ध्व गतियों को प्राप्त करती और छोड़ती हुई आत्मा ( सः ) रूप शब्द-शक्ति अथवा चेतन-शक्ति से मिलकर जीव रूप ‘ अहम् ' हंसो रूप शिव-शक्ति हो जाती है।
  3. अतः इन उपरोक्त तीनों नाड़ियों में से अलग-अलग एक-एक की महिमा गाई जाय तो पार नहीं लगने को है और जहाँ तीनों मिलती हों , उनकी महिमा क्या बतलाई जाय ; उसमें भी जहाँ अविनाशी आत्मा ( सः ) रूपी चेतन-शक्ति रूपी अक्षय-वट हो , वह भी गुरु रूपी भारद्वाज की उपस्थिति हो तो इसकी महिमा को अवर्णनीय कहना अधिक उचित होगा।
  4. सुषुम्ना मानव शरीर के अन्तर्गत एक ऐसी विचित्र नाड़ी होती है जो मात्र आत्मा ( सः ) रूप शब्द-शक्ति या ब्रह्म-शक्ति अथवा शिव-शक्ति से ‘ अहम् ' रूप जीव बनना तत्पश्चात् योग-साधना के माध्यम से जीव रूप ‘ अहम् ' से आत्मा ( सः ) रूप शब्द-शक्ति अथवा ब्रह्म-शक्ति अथवा चेतन-शक्ति से मिलकर जीव रूप ‘ अहम् ' को शिव-शक्ति रूप हंसो बनने के लिए ही होती है इसके अतिरिक्त इसका और कोई कार्य नहीं होता है।
  5. इसी प्रकार यदि साधना जारी रही तो क्रमशः पहुँचते और विश्राम करते हुये यह मणिपूरक से अनाहत्-चक्र , अनाहत् से विशुद्ध-चक्र और विशुद्ध से आज्ञा-चक्र तक पहुँचकर ‘ अहम् ' रूप जीव को ‘ सः ' रूप चेतन-आत्मा से मुलाक़ात करा देती है जिसके परिणामस्वरूप ‘ अहम् ' रूप जीव ‘ सः ' रूप आत्मा अथवा चेतन-शक्ति से मिलकर शिव हो जाता है तत्पश्चात् शिव और शक्ति दोनों ‘ हंसो ' रूप में संयुक्त रूप में एक साथ ही रहने लगते हैं।
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