छायापथ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रासंगिक रूप में लिखने वाले कवियों में से हरिऔध के ' चोखे चौपदे ' , ' चुभते चौपदे ' , चतुर्भुज चतुरेश कृत ' हंसी का फव्वारा ' तथा ज्वालाराम नागर कृत ' छायापथ ' उल्लेखनीय रचनाएं हैं।
- प्रासंगिक रूप में लिखने वाले कवियों में से हरिऔध के ' चोखे चौपदे ' , ' चुभते चौपदे ' , चतुर्भुज चतुरेश कृत ' हंसी का फव्वारा ' तथा ज्वालाराम नागर कृत ' छायापथ ' उल्लेखनीय रचनाएं हैं।
- सर्वस्व-समर्पण करने की विश्वास-महा-तरु-छाया में , चुपचाप पड़ी रहने की क्यों ममता जगती हैं माया में? छायापथ में तारक-द्युति सी झिलमिल करने की मधु-लीला, अभिनय करती क्यों इस मन में कोमल निरीहता श्रम-शीला? निस्संबल होकर तिरती हूँ इस मानस की गहराई में, चाहती नहीं जागरण कभी सपने की इस सुघराई में।
- सर्वस्व-समर्पण करने की विश्वास-महा-तरु-छाया में , चुपचाप पड़ी रहने की क्यों ममता जगती हैं माया में ? छायापथ में तारक-द्युति सी झिलमिल करने की मधु-लीला , अभिनय करती क्यों इस मन में कोमल निरीहता श्रम-शीला ? निस्संबल होकर तिरती हूँ इस मानस की गहराई में , चाहती नहीं जागरण कभी सपने की इस सुघराई में।
- सर्वस्व-समर्पण करने की विश्वास-महा-तरु-छाया में , चुपचाप पड़ी रहने की क्यों ममता जगती हैं माया में ? छायापथ में तारक-द्युति सी झिलमिल करने की मधु-लीला , अभिनय करती क्यों इस मन में कोमल निरीहता श्रम-शीला ? निस्संबल होकर तिरती हूँ इस मानस की गहराई में , चाहती नहीं जागरण कभी सपने की इस सुघराई में।
- सर्वस्व समर्पण करने की विश्वास महा तरु छाया में ; चुपचाप पड़ी रहने कीक्यों ममता जगती है माया में ? छायापथ में तारक द्युति सी झिलमिल करने की मधु लीला ; अभिनय करती क्यों इस मन में कोमल निरीहता श्रम शीला ? निस्संबल होकर तिरती हूँ इस मानस की गहराई में ; चाहती नहीं जागरण कभी सपने की इस सुघराई में ।
- सर्वस्व समर्पण करने की विश्वास महा तरु छाया में ; चुपचाप पड़ी रहने कीक्यों ममता जगती है माया में ? छायापथ में तारक द्युति सी झिलमिल करने की मधु लीला ; अभिनय करती क्यों इस मन में कोमल निरीहता श्रम शीला ? निस्संबल होकर तिरती हूँ इस मानस की गहराई में ; चाहती नहीं जागरण कभी सपने की इस सुघराई में ।