जन्मघुट्टी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- श्री गोकुल प्रसाद पुरोहित को दलित , प्रपीडत मानवता के पक्ष में खडे होकर उसके लिए संघर्ष का शंख फुंकने का मंत्र जन्मघुट्टी में मिला था ।
- श्री गोकुल प्रसाद पुरोहित को दलित , प्रपीडत मानवता के पक्ष में खडे होकर उसके लिए संघर्ष का शंख फुंकने का मंत्र जन्मघुट्टी में मिला था ।
- जीवन-दृष्टि जीवनानुभव व्यक्ति की पहचान , सामान्य जन की संगठित शक्ति और पाखंड को उद्घाटित करने की व्यंग्य-वक्रता नागार्जुन के कवि को जन्मघुट्टी में मिली है .
- “ बाबू न भैया , सबसे बड़ा रुपैया ” कहावत को मुगलीघुट्टी 555 जन्मघुट्टी की तरह पीने वाले हम भारतीय कॉमनवेल्थ गेम्स के कर्णधारों से कुछ सीखें कि धन कैसे जुटाया , क्षमा चाहूंगा … लुटाया जाता है .
- जानता हूं , जानता हूं टिप्पणी की ज़रूरत नहीं थी न पर कोई विदेशी तो नहीं है न ठेठ यहीं के है , इसी देश के सो टिप्पणी तो ससुर मिली ही होगी न जन्मघुट्टी में धरी रहती है जो ज़बान पर।
- तथ्य : जन्मघुट्टी देने के पीछे सोच यह है की इससे बच्चे को उसकी पेट की तकलीफ जैसे गैस बनाना , मरोड़ आना , दूध नहीं पचना आदि में सहायता मिलाती है , लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है एवं साथ ही यह देखा गया है कि जन्मघुट्टी से बच्चे को दस्त अधिक लगते हैं।
- तथ्य : जन्मघुट्टी देने के पीछे सोच यह है की इससे बच्चे को उसकी पेट की तकलीफ जैसे गैस बनाना , मरोड़ आना , दूध नहीं पचना आदि में सहायता मिलाती है , लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है एवं साथ ही यह देखा गया है कि जन्मघुट्टी से बच्चे को दस्त अधिक लगते हैं।
- तथ्य : जन्मघुट्टी देने के पीछे सोच यह है की इससे बच्चे को उसकी पेट की तकलीफ जैसे गैस बनाना , मरोड़ आना , दूध नहीं पचना आदि में सहायता मिलाती है , लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है एवं साथ ही यह देखा गया है कि जन्मघुट्टी से बच्चे को दस्त अधिक लगते हैं।
- यह क्या आकस्मिक ही था कि हिन्दी साहित्य की शुरुआत ही वीरगाथाकाल से हुई ? जैसे जापान में 'कोजिकी' ग्रंथ एक शुरुआत है, जिसमें साहित्यिक व मार्शल दोनों कलाओं का सुष्ठू समन्वय है, वैसे ही इस वीरगाथाकाल में हिन्दी के भीतर ऐसे कई ग्रंथ देखे गए कि हिन्दी की जन्मघुट्टी में ही वीरत्व का भाव मिला हुआ था?
- प्रिय मुनीश जी लगता है आपने जन्मघुट्टी में ही कुछ ऐसा पी लिया है जिस कारण आपके जबान से गुड और तेली जैसे शब्द छूटते ही नहीं शायद इसके आगे आपके पास शब्दों का अकाल है , शायद यह उस आर एस एस नामक वायरस का ही असर है जो भारत में तालिबान के अवतार पैदा करना चाहता है और शायद आपको भी इसीलिए आपको मेरे लिखे हुए से एलर्जी सी होती है - समझ आपकी जो समझे - धन्यवा द.