जपजी साहिब का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जपजी साहिब का सफ़र कुछ इस प्रकार का रहा - एक ओंकार , सत नाम करता पुरुष निर्भैय , निर्बैय अकाल मूरत , अजुनी , सैभंग
- [ क ] जपजी साहिब आदि गुरु श्री नानक जी द्वारा तैयार किया गया एवं गुरु श्री अंगद जी साहिब द्वारा सवारा गया अमृत कलश है ।
- जपजी साहिब का पाठ करना एक आम बात है , जपजी का पाठ करते - करते स्वयं को जपजी में अर्पित करना आम बात नहीं है ।
- ऋग्वेद , सामवेद एवं यजुर्वेद , मैं हूँ ॥ जपजी साहिब का मूल मंत्र , जप यज्ञ है जहां जप करता की यह स्थिति होती है .....
- सोचै सोचि न होवई जो सोंची लख बार जपजी साहिब के माध्यम से आदि गुरु श्री नानकजी साहिब कहते हैं . ..... सोचनें से वह सोच नहीं पैदा होती .....
- आगे आप को मिलेगा श्री जपजी साहिब , उम्मीद है आप जपजी साहिब के माध्यम से आदि गुरु नानक जी साहिब के प्रसाद को प्राप्त करनें में सफल होंगे ।
- आगे आप को मिलेगा श्री जपजी साहिब , उम्मीद है आप जपजी साहिब के माध्यम से आदि गुरु नानक जी साहिब के प्रसाद को प्राप्त करनें में सफल होंगे ।
- जपजी साहिब का मूलमंत्र उनके लिए है जो परमं प्रीति में डूब रहे हैं , जिनके पास हाँ ही हाँ है , जो ना की भाषा जानते ही नहीं ।
- जपजी साहिब का मूल मंत्र बैराग्य की ऊर्जा भरता है एक ओंकार सत नाम , करता पुरुष , अकाल मूरत , अजुनी इन शब्दों के भावों में कौन बहता है ?
- हालांकि मुझे बहुत धमरालु किस्म का व्यक्ति नहीं कहा जा सकता , लेकिन मैंने जपजी साहिब और बारां माह का अनुवाद किया है और सिख समुदाय द्वारा भी मुझे स्वीकार किया जाता है।