जिनदेव का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 93 में लिखा है- जिसका अर्थ इस प्रकार है- जो जिनदेव , गर्भावतार काल , जन्मकाल , निष्क्रमणकाल , केवल ज्ञानोत्पत्तिकाल और निर्वाण समय , इन पाँचों स्थानों ( कालों ) से पाँच महाकल्याण को प्राप्त होकर महाऋधी युक्त सुरेन्द्र इंद्रों से पूजित हैं।
- ज्ञान और सम्यक्चारित्र ये पवित्र रत्नत्रय हैं| श्रीसम्पन्न मुक्तिनगर के स्वामी भगवान् जिनदेव ने इसे अपवर्ग ( मोक्ष) को देने वाला कहा है| इस त्रयी के साथ धर्म सूक्तिसुधा (जिनागम), समस्त जिन-प्रतिमा और लक्ष्मी का आकारभूत जिनालय मिलकर चार प्रकार का धर्म कहा गया है वह हमारे पापों का क्षय करें और हमें सुखी करे|3| नाभे