जिहन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बड़ी देर से उस डूबते सुर्ख लाल गोले को देखे जा रहा था धनञ्जय- ' ' क्या बिलकुल ठीक इसी तरह अपनी अवाम की सच्चाई , ईमानदारी और शराफत जैसी अच्छाइयां भ्रष्टाचार , झूठ और घोटालों के अस्ताचल में नहीं समाई जा रही हैं ? '' शायद इतने अधिक गंभीर दिखने की कोशिश करते हुए धनञ्जय यही सब शब्द चित्र अपने जिहन में उकेर रहा था .
- सर्वत भाई वैसे तो कविता में निहित अर्थ पढ़ने-सुनने वाला खुद ही जैसा चाहता है निकालता है , पर २ ० वर्ष पूर्व यहकविता लिखते हुए जिहन में क्या था सो अलग , पर आज इसे पाठक की तरह पढ़ते हुए कह रहा हूं कि बीहड़ में पहुंच कर हमें अपनी अपनी राह खुद ढूंढ़नी होती हौ वहां कोई पगडंडी तो होगी नही और दिल के कुतुबनुमा के सहारे फ़िर आ मिलेंगे।
- ये बारिश में भीगे गाँव सी खुशबू है मेरे पौर की माटी लीपी खुशबू है ये नानी-दादी के गाँव की आँगन के नीम की छाँव सी जो अब यादों में मिश्री सी लगती वो कौवे की कर्कश काँव सी नहीं जानता कैसे जाने ये आज अचानक चहक उठी जाने जिहन से उपजी है या दिल से यूँ ही महक उठी बचपन जिस संग खेला है ये बिलकुल वैसी खुशबू है दीपक मशाल
- बहुत तेजी से . आसमान के जिहन में एक जलती हुई लकीर खेंचता हुआ ,, लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे कि उन्होंने कई बार टूटे हुए तारों की गर्म राख जमीन पर गिरते देखी है मैंने भी उस तारे की गर्म राख अपने दिल के आँगन में बरसती हुई देखी है जिस तरह तारों के नाम होते हैं उसी तरह जो तारा मैंने टूटते हुए देखा उसका नाम था सारा शगुफ्ता . ...