तूर्ण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मनमोहन की सर्कार दुसरे तूर्ण में बेशर्मी से पुजीपतियो के हित में कम केर rahi है और जनता को jhunjhuna thama diya gaya hai
- राधेय ! काल यह पहंुच गया , शायक सन्धानित तूर्ण करो , थे विकल सदा जिसके हित , वह लालसा समर की पूर्ण करो . ”
- - देखें वे; हसँते हुए प्रवर , जो रहे देखते सदा समर, एक साथ जब शत घात घूर्ण आते थे मुझ पर तुले तूर्ण, देखता रहा मैं खडा़ अपल वह शर-क्षेप, वह रण-कौशल।
- जहाँ तक छिपे इतिहास को खोजने का प्रश्न है तो इस संबंध में डॉ . शुभेश की समझ है- जीवन-विकास का प्रकाश कहीं से आप, आने दो, उस जैसा उज्ज्वल भविष्य का तूर्ण कहाँ?
- - देखें वे ; हसँते हुए प्रवर , जो रहे देखते सदा समर , एक साथ जब शत घात घूर्ण आते थे मुझ पर तुले तूर्ण , देखता रहा मैं खडा़ अपल वह शर-क्षेप , वह रण-कौशल।
- जहाँ तक छिपे इतिहास को खोजने का प्रश्न है तो इस संबंध में डॉ . शुभेश की समझ है- जीवन-विकास का प्रकाश कहीं से आप , आने दो , उस जैसा उज्ज्वल भविष्य का तूर्ण कहाँ ? उनकी तिलमिलाहट यह है कि उनके शहर के लोग जानकारियों को गुप्त रखने विश्वास करते हैं।
- अन्यथा , जहां है भाव शुद्ध साहित्य, कला- कौशल -प्रबुद्ध, हैं दिये हुये मेरे प्रमाण कुछ वहां,प्राप्ति को समाधान,- पार्श्व में अन्य रख कुशल हस्त गद्य में पद्य में समाभ्यस्त- देखें वे; हंसते हुये प्रवर जो रहे देखते सदा समर, एक साथ जब शत घात घूर्ण आते थे मुझ पर तले तूर्ण, देखता रहा मैं खड़ा अपल वह शर-क्षेप वह रण-कौशल।
- अन्यथा , जहां है भाव शुद्ध साहित्य, कला- कौशल -प्रबुद्ध, हैं दिये हुये मेरे प्रमाण कुछ वहां,प्राप्ति को समाधान,- पार्श्व में अन्य रख कुशल हस्त गद्य में पद्य में समाभ्यस्त- देखें वे; हंसते हुये प्रवर जो रहे देखते सदा समर, एक साथ जब शत घात घूर्ण आते थे मुझ पर तले तूर्ण, देखता रहा मैं खड़ा अपल वह शर-क्षेप वह रण-कौशल।
- सलीम ने तो हिन्दु धर्म के ऊपर ही अंगुली उठा दिया है | अगर कोई मुस्लिम हिन्दुओ के मंदिर में जाता है तो ये सब कुत्तों कि तरह भौकते है | कहता है कि इंसान तो है मगर मुस्लिम नही | इसके पहले कहता है कि मुस्लिम बादे में पहले इंसान है | फिर दोगली बाते शुरू करता है | इसको तूर्ण निकालना चाहिए |
- अन्यथा , जहां है भाव शुद्ध साहित्य , कला- कौशल -प्रबुद्ध , हैं दिये हुये मेरे प्रमाण कुछ वहां , प्राप्ति को समाधान , - पार्श्व में अन्य रख कुशल हस्त गद्य में पद्य में समाभ्यस्त- देखें वे ; हंसते हुये प्रवर जो रहे देखते सदा समर , एक साथ जब शत घात घूर्ण आते थे मुझ पर तले तूर्ण , देखता रहा मैं खड़ा अपल वह शर-क्षेप वह रण-कौशल।