दमसाज़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उम्मीद-ओ-आरज़ू मिरी दमसाज़ बन गई इक सोज़-ए-आशिक़ी बनी , इक साज़ बन गई ! सौदा न कम हुआ सर-ए-मक़्सूद-ए-आशिक़ी क्या इन्तिहाये-आरज़ू आग़ाज़ बन गई ? यारों !ये क्या हुआ कि सर-ए-बज़्म-ए-ज़िन्दगी? जो भी ग़ज़ल कही ,शरार-अन्दाज़ बन गई ! कैसी तलाश ,किस की तमन्ना,कहाँ की दीद ख़ुद
- उम्मीद-ओ-आरज़ू मिरी दमसाज़ बन गई इक सोज़-ए-आशिक़ी बनी , इक साज़ बन गई ! सौदा न कम हुआ सर-ए-मक़्सूद-ए-आशिक़ी क्या इन्तिहाये-आरज़ू आग़ाज़ बन गई ? यारों !ये क्या हुआ कि सर-ए-बज़्म-ए-ज़िन्दगी? जो भी ग़ज़ल कही ,शरार-अन्दाज़ बन गई ! कैसी तलाश ,किस की तमन्ना,कहाँ की दीद ख़ुद...
- शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो बेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो ये सुकूत-ए-नाज़ , ये दिल की रगों का टूटना ख़ामुशी में कुछ शिकस्त-ए-साज़ की बातें करो निकहत-ए-ज़ुल्फ़-ए-परीशां, दास्तान-ए-शाम-ए-ग़म सुबह होने तक इसी अंदाज़ की बातें करो कूछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा कुछ फ़िज़ा, कुछ हसरत-ए-परवाज़ की बातें करो जिसकी फ़ुरक़त ने पलट दी इश्क़ की काया फ़िराक़ आज उसी ईसा नफ़स दमसाज़ की बातें करो फ़िराक़ गोरखपुरी
- शरायत = शर्त का बहुवचन , साक़िये-कमनिगाह = पक्षपात करने वाला साक़ी, दमसाज़ = प्राणदायक, तअर्रुफ़ = परिचय, आश्ना = परिचित ग़ज़ल - सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे सहल इस तरह ज़िन्दगी कर दे मुझपे एहसाने-बेख़ुदी कर दे आरज़ू ये नहीं कि यूँ होता आरज़ू है कि बस यही कर दे हिज़्र की आग से तो बेहतर है ये मुलाक़ात आख़िरी कर दे ऐ नुजूमी जरा सितारों पर हो सके थोड़ी रोशनी कर दे दास्ताने-सफ़र 'अमित' शायद उनकी आँखे भी शबनमी कर दे 'अमित' नुजूमी = ज्योतिषी गीत - एक भूल ऐसी जो मेरे जीवन का शृंगार हो गई।