दास्य भक्ति का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- किन्तु कवि के रूप में उनका वास्तविक महत्व उनकी रचनाओं में अन्तर्गुम्फित उन सामन्तविरोधी मूल्यों में है जो सामन्ती जीवन की विडम्बनाओं के चित्रण में प्रकट हुआ है , न कि उनके प्रस्तावित दास्य भक्ति की भावाकुलता में।
- बार-बार कृष्ण की दासी बनने या होने की क्या जरूरत हैॽक्या कृष्ण के साथ दासियों के प्रेम का कोई आख्यान कहीं हैॽ दास्य भक्ति की कृष्ण भक्ति में कोई अच्छी स्थिति नहीं है , वहां तो सख्य भाव शिरोमणि है।
- भक्ति के इस पूरे आख्यान में भक्त के लिए तब तक कोई स्पेस नहीं है जब तक कि दासी पर भक्त का आरोपण न कर दिया जाय , प्रेम को दास्य भक्ति न कह दिया जाय और जीवन पर मतवाद हावी न हो जाय।
- यहीं यह बात उन संकेतों को छोड़ती है जहाँ स्त्री के लिए दासी होकर ही प्रेम सम्भव है भले ही उसमें इस बात के खतरे क्यों न हों कि या तो मनोविनोदक उसे मनोविनोद के खाते में खींचकर विप्रलम्भ श्रंगार कह लें या तो भक्ति को ताबेदार उसे दास्य भक्ति में निपटा डालें।
- आप ने विश्लेषण अच्छा किया जो प्रभु राम का अनन्य भक्त हो वह तो स्वतः प्रातः स्मरणीय होगा यह तो दास्य भक्ति के अनुरूप हनुमान जी ने कहा है इसी प्रकार से विभीषण ने भी अपने मुह से कहा है मै निशिचर अति अधम सुभाउ- शुभ आचरण किन नहीं काऊ तो क्या इसे सत्य माना जा सकता है