दिव्य-चक्षु का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जिस कारण यद्यपि हर व्यक्ति निरंतर ज्ञानोपार्जन करते भी संभव है कि अज्ञानी ही रहेगा ( और गीता में ' कृष्ण ' कहते हैं कि सब गलतियों का कारण ' अज्ञान ' है ,,, और यदि कोई व्यक्ति उन पर ' आत्म समर्पण ' कर उनकी ऊंगली थाम ले तो वो उसे स्वयं अपने विराट रूप का दर्शन करायेंगे , जैसे ' महाभारत ' में तथाकथित कुरुक्षेत्र के रणक्षेत्र में उन्होंने अर्जुन को दिव्य-चक्षु दे कर किया था ...