द्रवत्व का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इनमें से रूप , गंध, रस, स्पर्श, स्नेह, स्वाभाविक द्रवत्व, शब्द तथा ज्ञान से लेकर संस्कार पर्यंत, ये “वैशेषिक गुण” हैं, अवशिष्ट साधारण गुण हैं।
- द्रवत्व का स्वरूप किसी तरल वस्तु के चूने , टपकने या एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहकर पहुँचने में अनेक स्पन्दनक्रियाएँ होती है।
- ये हैं रूप , रस, गंध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, गुरुत्व, द्रवत्व, स्नेह, ज्ञान, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, सुख, दुख, संस्कार, ध्वनि, प्राकट्य और शक्ति।
- घृत आदि पार्थिव द्रवत्व तथा सुवर्ण आदि में जो द्रवत्व है , वह नैमित्तिक ( अग्निसंयोगजन्य ) होता है , जब कि जल में जो द्रवत्व है वह स्वाभाविक है।
- घृत आदि पार्थिव द्रवत्व तथा सुवर्ण आदि में जो द्रवत्व है , वह नैमित्तिक ( अग्निसंयोगजन्य ) होता है , जब कि जल में जो द्रवत्व है वह स्वाभाविक है।
- घृत आदि पार्थिव द्रवत्व तथा सुवर्ण आदि में जो द्रवत्व है , वह नैमित्तिक ( अग्निसंयोगजन्य ) होता है , जब कि जल में जो द्रवत्व है वह स्वाभाविक है।
- रूप , रस, गंध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, गुरुत्व, द्रवत्व, स्नेह (चिकनापन), शब्द, ज्ञान, सुख, दु:ख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्म अधर्म तथा संस्कार ये चौबीस गुण के भेद हैं।
- * * प्रशस्तपाद के अनुसार तेज में रूप और स्पर्श नामक दो विशेष गुण तथा संख्या , परिमाण , पृथक्त्व संयोग , विभाग , परत्व , अपरत्व , द्रवत्व और संस्कार नामक नौ सामान्य गुण रहते हैं।
- * * प्रशस्तपाद के अनुसार तेज में रूप और स्पर्श नामक दो विशेष गुण तथा संख्या , परिमाण , पृथक्त्व संयोग , विभाग , परत्व , अपरत्व , द्रवत्व और संस्कार नामक नौ सामान्य गुण रहते हैं।
- प्रशस्तपाद ने इन चारों गुणों में दस अन्य गुण यानी संख्या , परिमाण , पृथक्त्व , संयोग , विभाग , परत्व , अपरत्व , गुरुत्व , द्रवत्व और संस्कार जोड़ते हुए यह बताया कि पृथ्वी में चौदह गुण पाये जाते हैं।