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द्रवत्व का अर्थ

द्रवत्व अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. इनमें से रूप , गंध, रस, स्पर्श, स्नेह, स्वाभाविक द्रवत्व, शब्द तथा ज्ञान से लेकर संस्कार पर्यंत, ये “वैशेषिक गुण” हैं, अवशिष्ट साधारण गुण हैं।
  2. द्रवत्व का स्वरूप किसी तरल वस्तु के चूने , टपकने या एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहकर पहुँचने में अनेक स्पन्दनक्रियाएँ होती है।
  3. ये हैं रूप , रस, गंध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, गुरुत्व, द्रवत्व, स्नेह, ज्ञान, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, सुख, दुख, संस्कार, ध्वनि, प्राकट्य और शक्ति।
  4. घृत आदि पार्थिव द्रवत्व तथा सुवर्ण आदि में जो द्रवत्व है , वह नैमित्तिक ( अग्निसंयोगजन्य ) होता है , जब कि जल में जो द्रवत्व है वह स्वाभाविक है।
  5. घृत आदि पार्थिव द्रवत्व तथा सुवर्ण आदि में जो द्रवत्व है , वह नैमित्तिक ( अग्निसंयोगजन्य ) होता है , जब कि जल में जो द्रवत्व है वह स्वाभाविक है।
  6. घृत आदि पार्थिव द्रवत्व तथा सुवर्ण आदि में जो द्रवत्व है , वह नैमित्तिक ( अग्निसंयोगजन्य ) होता है , जब कि जल में जो द्रवत्व है वह स्वाभाविक है।
  7. रूप , रस, गंध, स्पर्श, संख्या, परिमाण, पृथक्त्व, संयोग, विभाग, परत्व, अपरत्व, गुरुत्व, द्रवत्व, स्नेह (चिकनापन), शब्द, ज्ञान, सुख, दु:ख, इच्छा, द्वेष, प्रयत्न, धर्म अधर्म तथा संस्कार ये चौबीस गुण के भेद हैं।
  8. * * प्रशस्तपाद के अनुसार तेज में रूप और स्पर्श नामक दो विशेष गुण तथा संख्या , परिमाण , पृथक्त्व संयोग , विभाग , परत्व , अपरत्व , द्रवत्व और संस्कार नामक नौ सामान्य गुण रहते हैं।
  9. * * प्रशस्तपाद के अनुसार तेज में रूप और स्पर्श नामक दो विशेष गुण तथा संख्या , परिमाण , पृथक्त्व संयोग , विभाग , परत्व , अपरत्व , द्रवत्व और संस्कार नामक नौ सामान्य गुण रहते हैं।
  10. प्रशस्तपाद ने इन चारों गुणों में दस अन्य गुण यानी संख्या , परिमाण , पृथक्त्व , संयोग , विभाग , परत्व , अपरत्व , गुरुत्व , द्रवत्व और संस्कार जोड़ते हुए यह बताया कि पृथ्वी में चौदह गुण पाये जाते हैं।
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