धनद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्राचीन ग्रंथों में उन्हें वैश्रवण , निधिपति एवं धनद नामों से भी सम्बोधित किया गया है।
- वेद के लेखकों का उद्देश ही मंत्र जप के धनद दौलत पाना और एष करना था।
- वेद के लेखकों का उद्देश ही मंत्र जप के धनद दौलत पाना और एष करना था।
- मदन जाकर वहाँ धनद के मित्रा रुद्र को रहते आप , तेरे उठने पर भी भयवश प्रायः नहीं उठाता चाप।
- यक्ष , यक्षेश, धनद, जृम्भक, मणिभद्रक, पूर्णभद्रेश्वर, माली, शितिकुण्डलि और नरेन्द्र - ये यक्षों के स्वामी मेरे पाप को दूर करें ।।
- आवृति युक्त संजीवनी मंत्र प्रयोग यंत्र पर करते हुये करते हुये उसे प्राण चैतन्य करना चहिये जिस् से की की अनग बिंदु और रति योनी का सबंध बन सके और धनद यक्षिणी का रूप निर्मित हो सके .
- जांजगीर के मंदिरों में से विष्णु मंदिर में वाह्य पार्श्व युगल अर्द्धस्तंभों का है ( नारायणपुर में भी ) , जिसमें धनद देवी-देवता तथा संगीत-समाज अंकित है , वहीं जांजगीर के दूसरे मंदिर , शिव मंदिर में इसी तरह के अर्द्धस्तंभों पर कथानक व शिवपूजा के दृश्य भी हैं।
- पुष्करावर्तक घनों के वंश का मुझको बताकर , कामरूप सुनाम दे, कह मेघपति का मान्य अनुचर कंठ कातर यक्ष मुझसे प्रार्थना इस भांति करता- 'जा प्रिया के पास ले संदेश मेरा,बंधु जलधर! वास करती वह विरहिणी धनद की अलकापुरी में, शंभु शिर-शोभित कलाधर ज्योतिमय जिसको बनाता' 'मेघ' जिस जिस काल पढ़ता, मैं स्वयं बन मेघ जाता!
- वाराह पुराण की श्लोक संख्या चौबीस हजार है , इसमें सबसे पहले पृथ्वी और बाराह भगवान का शुभ संवाद है , तदनन्तर आदि सत्ययुग के वृतांत में रैम्य का चरित्र है , फ़िर दुर्जेय के चरित्र और श्राद्ध कल्प का वर्णन है , तत्पश्चात महातपा का आख्यान , गौरी की उत्पत्ति , विनायक , नागगण सेनानी ( कार्तिकेय ) आदित्यगण देवी धनद तथा वृष का आख्यान है।
- शेष का नाम फल , , 1 ,, तस्कर ,, चोट भय ,, 2 ,, भोगी ,, ऐश्वर्य ,, 3 ,, विलक्षण ,, बौद्धिक विकास ,, 4 ,, दाता ,, धर्म-कर्म में वृद्धि ,, 5 ,, नृपति ,, राज-सम्मान ,, 6 ,, नपुंसक ,, स्त्री-पुत्रादि की हानि ,, 7 ,, धनद ,, धन का आगमन ,, 8 ,, दरिद्र ,, धन नाश ,, 9 ,, भयदाता ,, चोरी, शत्रुभय।