धरणि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रकृति , पृथ्वी , धरणि , धारिणी , मां , अम्म , वसुधा , सृष्टि यहां तक कि स्वयं शक्ति शब्द की व्यंजना भी स्त्रीवाची ही है।
- प्रकृति , पृथ्वी , धरणि , धारिणी , मां , अम्म , वसुधा , सृष्टि यहां तक कि स्वयं शक्ति शब्द की व्यंजना भी स्त्रीवाची ही है।
- सजग उपस्थिति से उसके बच हटता तनिक किनारेकिन्तु नहीं उससे बच पाते हैं ये प्राण हमारे उठती रेणु धरणि से जब वह गर्वित चरण पधारा - वह है कौन तम में करता अनुसरण हमारा ।
- * माँ धरणि के पुत्र तुम मानव समर्थ सुबुद्ध दृढ़मति मिली क्षमतायें सभी , मत स्वा,र्थ वश करना न तुम अति बने एक कुटुंब वसुधा ,जीव-जग सब ही सहोदर सभी को अधिकार देना और उनका भाग सादर..
- शक्ति पर सोचो ज़रा तो खोदता सारी धरा जो बाहुबल से कर रहा है इस धरणि को उवर्रा जो लाल आँखें , खून पानी यह प्रलय की ही निशानी नेत्र अपना तीसरा क्या खोलने की आज ठानी
- से तब मुदित , धरणि उच्छवास मिश्रित पवन रम्य शीतल सुखारी जिसे शुण्ड से पान करते द्विरद दल सध्वनि , पालकी ले बढ़ेगा तुम्हारी तुम्हें देवगिरि पास गमनाभिलाषी वहन कर पवन मंद गति से चलेगा कि पा इस तरह सुखद वातावरन को वहां पर सपदि वन्य गूलर पकेगा शब्दार्थ ...
- से तब मुदित , धरणि उच्छवास मिश्रित पवन रम्य शीतल सुखारी जिसे शुण्ड से पान करते द्विरद दल सध्वनि , पालकी ले बढ़ेगा तुम्हारी तुम्हें देवगिरि पास गमनाभिलाषी वहन कर पवन मंद गति से चलेगा कि पा इस तरह सुखद वातावरन को वहां पर सपदि वन्य गूलर पकेगा शब्दार्थ ...
- सुकल्पित , रुचिर रेशम-डोरियाँ ज्यों कसें तन-संभार सुललित शिखर हिम के धर धरणि, हेमल किरीटी हो रहीं तुम दिवस के स्वर्णावरण , हर रात्रि का अभिसार नूतन , * स्वर्ण -रत्नों भरा अंतर सजल करुणा से भरा उर .खग-मृगों से क्रीड़िता ,कल्लोल कलरव से रहीं भर नित नया धन-धान्य पूरित धारतीं
- माँ शब्द में - मात्र एक वर्ण और एक मात्रा जिससे शुरू होती है सबकी जीवन यात्रा माँ ब्रह्मा की तरह सृष्टि रचती है धरा की तरह हर बोझ सहती है धरणि बन हर पुष्प पल्लवित करती है सरस्वति बन संस्कार गढ़ती है भले ही खुद हो अनपढ़ पर ज़िंदगी की किताब को खुद रचती है माँ हर बच्चे के लिए लक्ष्मी रूपा है खुद अभाव सहती है लेकिन बच्चे के लिए सर्वस्व देवा है ,