नख़ास का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- लखनऊ में नख़ास के बाज़ार में घरों से चुपचाप आकर हीरे-जवाहरात और सोने के क़ीमती ज़ेवर कौड़ियों के मोल बिकते रहे ।
- लखनऊ में नख़ास के बाज़ार में घरों से चुपचाप आकर हीरे-जवाहरात और सोने के क़ीमती ज़ेवर कौड़ियों के मोल बिकते रहे ।
- दारागंज , अहियापुर , ख़ुशहाल पर्वत और अतरसुइया को देख कर बनारस की याद आती थी , तो ख़ुल्दाबाद , नख़ास कोहना , या रानी मण्डी को देख कर दिल्ली के चाँदनी चौक , बल्लीमारान और खारी बावली की।
- दारागंज , अहियापुर , ख़ुशहाल पर्वत और अतरसुइया को देख कर बनारस की याद आती थी , तो ख़ुल्दाबाद , नख़ास कोहना , या रानी मण्डी को देख कर दिल्ली के चाँदनी चौक , बल्लीमारान और खारी बावली की।
- आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में जनता के पास एक ही चारा है बगावत यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में
- वो ज़मीन पर केहुनियाँ टेके आगे को फैली हुई खुश्क टांगों के पीछे कुछ बैठा कुछ लेटा हुआ था और नींद में मालूम होता था मैंने उससे पूछा- “ और तो कोई काम नहीं है ? ” उसने बक्स की तरफ देखा और बोला ‘‘ आपके घर से नख़ास करीब पड़ता है हम एतवार एतवार इसे आपके यहाँ से उठा लिया करेंगे .
- पक्के समाजवादी हैं , तस्कर हों या डकैत इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में जनता के पास एक ही चारा है बगावत यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में
- काजू भुने पलेट में , विस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में जनता के पास एक ही चारा है बगावत यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में
- *** काजू भुने पलेट में , व्हिस्की गिलास में उतरा है रामराज विधायक निवास में पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में जनता के पास एक ही चारा है बगावत यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में