×

निऋति का अर्थ

निऋति अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. ऋग्वैदिक काल धर्म की॑ अन्य विशेश्ताए • क्रत्या , निऋति, यातुधान, ससरपरी आदि के रुप मे अपकरी शक्तियो अर्थात, भूत-प्रेत राछसो, पिशाच्स एव अप्सराओ का जिक्र दिखाई पडता है।
  2. ऋग्वैदिक काल धर्म की॑ अन्य विशेश्ताए • क्रत्या , निऋति, यातुधान, ससरपरी आदि के रुप मे अपकरी शक्तियो अर्थात, भूत-प्रेत राछसो, पिशाच्स एव अप्सराओ का जिक्र दिखाई पडता है।
  3. अग्नि का प्रादुर्भाव निऋति तथा वरुण की उत्पत्ति , गन्धवती अलकापुरी अर ईशानपुरी के उद्भव का वर्णन , चन्द्र सूर्य बुध मंगल तथा बृहस्पति के लोक ब्रह्मलोक विष्णुलोक ध्रुवलोक और तपोलोक का वर्णन है।
  4. दिशाओं / कोणों पर पूर्व-गजवाहन इन्द्र , आग्नेय-मेषवाहन अग्नि , दक्षिण-महिषवाहन यम , नैऋत्य-शववाहन निऋति , पश्चिम-मीन / मकरवाहन वरुण , वायव्य-हरिणवाहन वायु , उत्तर-नरवाहन कुबेर , ईशान-नंदीवाहन ईश , दिक्पाल प्रतिमाएं होती हैं।
  5. इसी प्रकार उनके दायें स्तन से धर्म , पीठ से अधर्म, हृदय से काम, दोनों भौंहों से क्रोध, मुख से सरस्वती, नीचे के ओंठ से लोभ, देह से समुद्र, निऋति आदि और छाया से कर्दम ऋषि प्रकट हुये।
  6. जिनके विषय में महाभारत में वर्णित उल्लेख के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र जो महान ऋषि थे मृगव्याध , सूर्प , निऋति , विनाकी , अहिवुथ , अजैकपाद दहन , ईश्वर , कपाली , स्थाणु और भव।
  7. जिनके विषय में महाभारत में वर्णित उल्लेख के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र जो महान ऋषि थे मृगव्याध , सूर्प , निऋति , विनाकी , अहिवुथ , अजैकपाद दहन , ईश्वर , कपाली , स्थाणु और भव।
  8. ( मैत्रायणी सं . , 4.76 , अथर्ववेद 7.38 .4 ) मैत्रायणी संहिता में उसे जुए एवं मध के समान कहा गया है , मानव समाज के महादोषों में से एक माना गया है तथा ' अमृत ' मानकर निऋति से उसका संबंध बताया गया है .
  9. जो महान व्यक्ति वेद के सत्य नियमों का पालन ( ब्राहमण का कत्र्तव्य है कि दान लेना और दान देना ) नही करता है वह पतित माना जाता है , जो लेता है परंतु देने का स्वभाव नही है , वह ब्रहमा आज्ञा के विरूद्घ आचरण करता है , ऐसे बिगड़े पतित ब्राहमण को निऋति एवं लोभी कहा है वह मानव भी दानव की श्रेणी में चला जाता है।
अधिक:   पिछला  आगे


PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.