निराकुल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अलका , इस क्षण संवेदन से मत हो व्याकुल यह जीवन चिंतन , जीवन गति जीवन के स्वर , जीवन की धारा में रहो तुम अचंचल अविचलित निराकुल ।
- ईश्वर के साथ यह मौन संगति उन्हें दुनिया की आपाधापी के बीच मन की निराकुल शांति का अनुभव करने , वेध को वश में रखने और धैर्य का अभ्यास करने में सहायक होगी।
- अपश्चिम का तात्पर्य अंतिम साधना से है , जिसके आधार पर साधक मृत्यु की समीपता मानकर चारों प्रकार के आहारादि और क्रोध, मान, माया व क्रोध-कषाय को त्यागकर निराकुल भाव से मृत्यु का वरण करता है।
- हे शांति जिनेश्वर ! भाव विभोर होकर जब मैं आपकी शांत, वितरागमय ,निराकुल मुद्रा का दर्शन करता हूँ, तब थका हारा मुरझाया हुआ मेरा मन रूपी उपवन दर्शनमात्र से ही कमल के समान खिल उठता हैं!
- झुकी पीठ को मिला किसी हथेली का स्पर्श तन गई रीढ़ महसूस हुई कन्धों को पीछे से , किसी नाक की सहज उष्ण निराकुल साँसें तन गई रीढ़ कौंधी कहीं चितवन रंग गए कहीं किसी के होठ निगाहों के ज़रिये जादू घुसा अन्दर तन गई रीढ़
- कल रात मैंने उसेअपनी आँखों के सामनेअस्थमा के दौरे सेमरते हुए देखासिकुड़ कर सोया था वहचारों दिशाएँ मूकसंकुचित घरघर में धुंधलकामगर खुले मैदानखुला आसमानदेखते-देखते उसकी जीवन लीला समाप्तमैं द्रवित हो सोचने लगी“ मानव जीवन नश्वर क्षण-भंगुर है”मरते-मरते उसने कहा“अलका , इस क्षण संवेदन से मत हो व्याकुलयह जीवन चिंतन ,जीवन गतिजीवन के स्वर ,जीवन की धारा मेंरहो तुम अचंचल अविचलित निराकुल ।
- ऐसा मत कह मेरे कवि , इस क्षण संवेदन से हो आतुर जीवन चिंतन में निर्णय पर अकस्मात मत आ, ओ निर्मल ! इस वीभत्स प्रसंग में रहो तुम अत्यंत स्वतंत्र निराकुल भ्रष्ट ना होने दो युग-युग की सतत साधना महाआराधना इस क्षण-भर के दुख-भार से, रहो अविचिलित, रहो अचंचल अंतरदीपक के प्रकाश में विणत-प्रणत आत्मस्य रहो तुम जीवन के इस गहन अटल के लिये मृत्यु का अर्थ कहो तुम ।
- ऐसा मत कह मेरे कवि , इस क्षण संवेदन से हो आतुर जीवन चिंतन में निर्णय पर अकस्मात मत आ, ओ निर्मल ! इस वीभत्स प्रसंग में रहो तुम अत्यंत स्वतंत्र निराकुल भ्रष्ट ना होने दो युग-युग की सतत साधना महाआराधना इस क्षण-भर के दुख-भार से, रहो अविचिलित, रहो अचंचल अंतरदीपक के प्रकाश में विणत-प्रणत आत्मस्य रहो तुम जीवन के इस गहन अटल के लिये मृत्यु का अर्थ कहो तुम ।
- ऐसा मत कह मेरे कवि , इस क्षण संवेदन से हो आतुर जीवन चिंतन में निर्णय पर अकस्मात मत आ , ओ निर्मल ! इस वीभत्स प्रसंग में रहो तुम अत्यंत स्वतंत्र निराकुल भ्रष्ट ना होने दो युग-युग की सतत साधना महाआराधना इस क्षण-भर के दुख-भार से , रहो अविचिलित , रहो अचंचल अंतरदीपक के प्रकाश में विणत-प्रणत आत्मस्य रहो तुम जीवन के इस गहन अटल के लिये मृत्यु का अर्थ कहो तुम ।
- कल रात मैंने उसे अपनी आँखों के सामने अस्थमा के दौरे से मरते हुए देखा सिकुड़ कर सोया था वह चारों दिशाएँ मूक संकुचित घर घर में धुंधलका मगर खुले मैदान खुला आसमान देखते-देखते उसकी जीवन लीला समाप्त मैं द्रवित हो सोचने लगी “ मानव जीवन नश्वर क्षण-भंगुर है” मरते-मरते उसने कहा “अलका , इस क्षण संवेदन से मत हो व्याकुल यह जीवन चिंतन ,जीवन गति जीवन के स्वर ,जीवन की धारा में रहो तुम अचंचल अविचलित निराकुल ।