निरादृत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मालतीमाधव की प्रस्तावना में उनकी गर्वोक्ति ' ये नाम केचिदिह न: प्रथयन्त्यवज्ञाम्' (जो कुछ लोग मेरी अवज्ञा कर रहे हैं...) संभवत: उन्हीं दुरालोचकों के प्रति है जिनसे ये निरादृत होते रहे।
- जहाँ एक ओर भारत में उनके द्वारा चित्रित स्त्री की देह को कामना की सृष्टि करनेवाली कह के निरादृत किया जा रहा था , वहीं दूसरी ओर विदेशों में इस विशिष्टता
- जहाँ एक ओर भारत में उनके द्वारा चित्रित स्त्री की देह को कामना की सृष्टि करने वाली कह के निरादृत किया जा रहा था , वहीं दूसरी ओर विदेशों में उनकी इस विशिष्टता की सराहना की जा रही थी।
- जहाँ एक ओर भारत में उनके द्वारा चित्रित स्त्री की देह को कामना की सृष्टि करने वाली कह के निरादृत किया जा रहा था , वहीं दूसरी ओर विदेशों में उनकी इस विशिष्टता की सराहना की जा रही थी।
- है आज मनुज में होड़ बड़ी , तन भूषण कौन सजायेगा ! हो रहे निरादृत मात-पिता , सर विपदा कौन उठायेगा !! ” ” आप के द्वारा किया जा रहा परिश्रम अब आपकी रचनाओं में झलकने लगा है !
- कारण यह है कि जब तक बाल साहित्य की महत्वपूर्ण रचनाओं पर बात नहीं होगी , तो न सिर्फ बाल साहित्य पर होने वाली हर चर्चा बेमानी होगी, बल्कि बाल साहित्य के भी उपेक्षित और निरादृत होने का खतरा बराबर बना रहेगा।
- यह उत्तर में स्थित भारत के रक्षाप्रहरी की स्तुति थी , लेकिन चीन ने उसे निरादृत करके अपनी वे भुजाएं फैला दी हैं , जो आतंकवाद व तानाशाही का समर्थन करती हैं तथा लोकतंत्र का खून करती हैं और उसकी आवाज को जेल की कोठरियों में बंद रखती हैं।
- भूमंडलीकरण के सबसे बड़े हथियार ‘अंग्रेजी के नवसाम्राज्यवाद‘ का स्वागत जितने अधिक उत्साह से हमारे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने किया , उसके पहले तमाम भारतीय भाषाओं, जिन्हें अंग्रेज नॉन-स्टेडंर्ड और वर्नाकुलर लैंग्विज कह के निरादृत करते थे-उनको नष्ट करने की खामोशी से की गई साजिश का नाम है- भाषा का ‘क्रियोलीकरण‘।
- भूमंडलीकरण के सबसे बड़े हथियार ' अंग्रेजी के नवसाम्राज्यवाद' का स्वागत जितने अधिक उत्साह से हमारे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने किया, उसके पहले तमाम भारतीय भाषाओं, जिन्हें अंग्रेज नॉन-स्टेडंर्ड और वर्नाकुलर लैंग्विज कह के निरादृत करते थे-उनको नष्ट करने की खामोशी से की गई साजिश का नाम है- भाषा का 'क्रियोलीकरण'। इसके अंतर्गत [...]
- इनसे बढ़ कर संस्कृत की हत्या करने वाला और कौन होगा , जो निर्लज्जता से न केवल संस्कृत के विश्वविद्यालयों को उपेक्षित करता, बल्कि संस्कृत में रोजगार के अत्यंत कम अवसर होने के बावजूद परंपरा से संस्कृत पढ़ने और पढ़ाने वालों को निरादृत करते हुए अब संस्कृत को विद्यालयीन शिक्षा क्षेत्र से भी निकाल बाहर कर रहा है।