निर्गंध का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ‘ जैसे कोई सुंदर फूल वर्णयुक्त होकर भी निर्गंध होता है , वैसे ही आचरण न करने वाले के लिए सुभाषित वाणी निष्फल होती है।
- सिद्धार्थ : वन्दनीय देव ! मेरा परिचय आप इतना ही समझ लें कि मैं मनोरथों के निर्गंध पुष्प एकत्र करने वाला व्यथित प्राण युवा पुरुष हूँ।
- मूढ़ जुटाता रहा मनोरथ के निर्गंध सुमन मधुकर सच्चा के अर्चा की मधुमय वेला बीत गयी निर्झर अंध तिमिर में अहा भटकता तू अब भी दिग्भ्रान्त पथिक टेर रहा है दिशालोकिनी मुरली तेरा मुरलीधर।।142।।
- 18 . प्रतिदिन शौच का दो बार साफ होना और मल का गुदा द्वार पर न चिपकना स्वस्थ व्यक्ति की निशानी होता है तथा मल निर्गंध और न अधिक कठोर और न अधिक पतला होता हो।
- ! गुल तूफ़ानों से भीगे और बड़े गुठ्ठल और कड़े जैसे मध्य अमरीका के बयाबानों में होते हैं कैक्टाई कड़े नसों वाले कैक्टस रंग बिरंगी कठोर कांटेदार सुर्ख़ और हरे और सफ़ेद और हरे-नीलम से निर्गंध चमत्कार-से . और ...
- निर्गंध फूलों से सजता रहा घर खुश्बू नहीं तो क्या तृप्ति तो है इन आंखों को बबूलों से उलझ गई जिंदगी मगर हाथ छूते रहे गुलाब के शाखों को कच्ची डगर नहीं पहुंचाती मंजिल को अच्छा किया , तोड़ लिया नाता सिर्फ याद बनाया इन राहों को ।...
- निर्गंध फूलों से सजता रहा घर खुश्बू नहीं तो क्या तृप्ति तो है इन आंखों को बबूलों से उलझ गई जिंदगी मगर हाथ छूते रहे गुलाब के शाखों को कच्ची डगर नहीं पहुंचाती मंजिल को अच्छा किया , तोड़ लिया नाता सिर्फ याद बनाया इन राहों को ।
- नीरस हुआ मधुकर का गुंजन , निर्गंध हो गई मलय पवन, तपन कर रहा है अब चंदन, पतझड़ ले आया निर्मोही हेमंत, जीवन में बसंत ले आओ ना, सुन तो ऐ मनमीत! फ़िर आंखों से बोलो ना!!! घंटी का घुनकना घंटी का घुनकना धड़कनें बहकना, मुखड़े की लालिमा, कि सुनते हैं उनसे बात हुई है …
- नीरस हुआ मधुकर का गुंजन , निर्गंध हो गई मलय पवन, तपन कर रहा है अब चंदन, पतझड़ ले आया निर्मोही हेमंत, जीवन में बसंत ले आओ ना, सुन तो ऐ मनमीत! फ़िर आंखों से बोलो ना!!! घंटी का घुनकना घंटी का घुनकना धड़कनें बहकना, मुखड़े की लालिमा, कि सुनते हैं उनसे बात हुई है …
- अगर तू है हवा तू सुगंधित है सुमन के सम्पुटों में बंद होकर या अगर तू द्रव्य है निर्गंध कोई सुगंधिका-सा बंद है मृग-नाभि में या कवित है मुक्तछंदी तू अगर मुक्त है आनन्द तेरा सरस छान्दिक बंधनों में या अगर नक्षत्र है तू परिधि-घूर्णन ही तुम्हारी लक्ष्य-गति है या अगर तू आत्मा है देंह के इस मृत्तिका घट में बंधी है ,