नौरत्न का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- लेकिन प्रचंड कलिकाल के परम शुभ चिन्तक मन जी जो है उनके नौ रत्नों- काम , क्रोध , लोभ , मोह , मद , मत्सर , राग , द्वेष एवं ईर्ष्या में से बलशाली नौरत्न लोभ जी अपने अति विचित्र जटिल फांस में शेष दस इन्द्रियों को इस तरह बांधते है कि चित्त , विवेक एवं बौद्धिक क्षमता तीनो गर्म गर्म श्वास की आहें ही भरते रह जाते है .