पांडुरोग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पांडुरोग ( रक्ताल्पता ) - करेले के पत्तों का 2 - 2 चम्मच रस सुबह-शाम देने से पांडुरोग में लाभ होता है।
- सूखे फल खूनी अतिसार , आँव, बवासरी और रक्तपित्त में तथा लोहभस्म के साथ लेने पर पांडुरोग और अजीर्ण में लाभदायक माने जाते हैं।
- सूखे फल खूनी अतिसार , आँव, बवासरी और रक्तपित्त में तथा लोहभस्म के साथ लेने पर पांडुरोग और अजीर्ण में लाभदायक माने जाते हैं।
- सूखे फल खूनी अतिसार , आँव , बवासरी और रक्तपित्त में तथा लोहभस्म के साथ लेने पर पांडुरोग और अजीर्ण में लाभदायक माने जाते हैं।
- दाडिम के विशिष्ट गुणों से बना दाडिमावलेह का सेवन करने से पांडुरोग ( कामला), बुखार से वमन होना, बार-बार शौच होना इन तकलीफों की उत्तम दवा है।
- 10 - 15 दिन तक केवल गाजर के रस पर रहने से रक्तविकार , गाँठ , सूजन एवं पांडुरोग जैसे त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
- दाडिम के विशिष्ट गुणों से बना दाडिमावलेह का सेवन करने से पांडुरोग ( कामला ) , बुखार से वमन होना , बार-बार शौच होना इन तकलीफों की उत्तम दवा है।
- यदि शल्यक्रिया संभव न हो तो पित्तीय वृक्ष में गुहांतर्दर्शी विधि से नली लगाने से पांडुरोग घट सकता है और आमाशय में नली लगाने से उल्टी आना कम हो सकता है।
- यदि शल्यक्रिया संभव न हो तो पित्तीय वृक्ष में गुहांतर्दर्शी विधि से नली लगाने से पांडुरोग घट सकता है और आमाशय में नली लगाने से उल्टी आना कम हो सकता है।
- सावधानीः अत्यंत शीत काल में या कफप्रधान प्रकृति के मनुष्य द्वारा घी का सेवन रात्रि में किया गया तो यह अफरा , अरुचि , उदरशूल और पांडुरोग को उत्पन्न करता है।