पिप्पलाद ऋषि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यहीं उत्तरवैदिक काल में देश के कोने कोने से आए 6 दार्शनिकों ने पिप्पलाद ऋषि से सृष्टि रहस्यों पर तर्क किये थे।
- आश्वलायन मुनि ने पूछा पिप्पलाद ऋषि से छ : प्रश्न ” किससे पैदा होता है प्राण यही है उनका पहला प्रश्न ।
- ' भगवान् जिससे ये सम्पूर्ण चराचर जीव नाना रूपों में उत्पन्न होते हैं , उसका क्या कारण है ? ' अर्थात् वह कौन है ? इस पर पिप्पलाद ऋषि कहते हैं
- पिप्पलाद ऋषि के पास सुकेशा , शिवि कुमार , सत्यकाम , सौर्यायणी , आश्वलायन , भार्गव और कबंधी ऋषि परब्रह्म परमेश्वर के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त करने के लिए पहुँचे ।।
- हँस के पिप्पलाद ऋषि ने कहा कि तुमको यह कहना उचित नहीं , क्योंकि बिना सन्तान योग तप कबहीं फलदायक नहीं होता है और सन्तति केलिए स्त्री के पास जाने को अगले मुनियों ने भी आज्ञा दी है।
- महर्षि दधिची के यशस्वी पुत्र पिप्पलाद ऋषि के नाम का कई सदियों पूर्व स्थापित पिप्पलाद ग्राम में स्थित दक्षिण पश्च्मि की पहाड़ी के जांच करने से यह ज्ञात होता हैं , कि यहां के लोगो की धारणा अनुचित नहीं हैं।
- अर्थ यह है कि ' पिप्पलाद ऋषि का पुत्र कौशिक गोत्री एक ब्राह्मण था , जो बहुत ही धर्मात्मा , यशस्वी , महाबुद्धिमान और षडंगों का ज्ञाता , एवं चारों वेदों की संहिताओं को जपने ( पढ़ने ) वाला था।
- अर्थ यह है कि ' पिप्पलाद ऋषि का पुत्र कौशिक गोत्री एक ब्राह्मण था , जो बहुत ही धर्मात्मा , यशस्वी , महाबुद्धिमान और षडंगों का ज्ञाता , एवं चारों वेदों की संहिताओं को जपने ( पढ़ने ) वाला था।
- पिप्पलाद ऋषि उन ऋषियों से कहते हैं कि हे ऋषिवर आप सभी एक वर्ष तक यहां पर निवास करें तथा ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करके ध्यान साधना में लिप्त रहें तब मैं अपको इन सभी प्रश्नों के उत्तर प्रदान करूँगा .
- प्रश्नोपनिषद् में सत्य काम ने पिप्पलाद ऋषि से पूछा है कि ' हे भगवन! मनुष्यों में जो मरणपर्यन्त ॐकार का ध्यान करता है, उसको किस लोक की प्राप्ति होती है?' ऋषि ने कहा कि 'वह सगुण या निर्गुण ॐकार रूप ब्रह्म को प्राप्त होता है।'