पिलवाना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मासी - और भगवान ना करे अगर हल्का - फुल्का बीमार पड जाए गोलू तो , स्तनपान जारी रखना - तरल भोजन देते रहना और बीमारी के बाद ज्यादा दूध पिलवाना ।
- और अल्लाह जानता है , तुम नहीं जानते॥ 2 : 233 और जो कोई पूरी अवधि तक ( बच्चे को ) दूध पिलवाना चाहे , तो माएँ अपने बच्चों को पूरे दो वर्ष तक दूध पिलाएँ।
- और यदि तुम अपनी संतान को किसी अन्य स्त्री से दूध पिलवाना चाहो तो इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं , जबकि तुमने जो कुछ बदले में देने का वादा किया हो, सामान्य नियम के अनुसार उसे चुका दो।
- और यदि तुम अपनी संतान को किसी अन्य स्त्री से दूध पिलवाना चाहो तो इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं , जबकि तुमने जो कुछ बदले में देने का वादा किया हो , सामान्य नियम के अनुसार उसे चुका दो।
- उसको देश का चेहरा चमकाना है , सड़क, मॉल औरो पुल बनवाना है, उस पर कार चलवाना है, आपको विदेशी शराब औरो कोल्ड ड्रिंक पिलवाना है, चावल-दाल के बदला में आपको पास्ता औरो नूडल्स खिलवाना है, हर हाथ में कंप्यूटर औरो मोबाइल देना है...।
- इस बार भी कुछ आश्चर्य चकित करने वाले उल्टे-सीधे निर्णय लिए गये , पर पूछे कौन कि मंत्री महोदय जब अनगिनत प्लास्टिक की बोतलों में पानी का व्यापार करने वाली कंपनियां लाइन लगाए खडी हैं तो आप क्यों अपना पानी जबरदस्ती पिलवाना चाहते हैं ?
- इसको इस ढंग से भी देखें कि अगर चाय पिलाने का इन्तजाम करना धन्यवाद प्राप्ति की पात्रता रखता है तो चाय पिलाने का वादा करना , चाय पिलाने के लिये बुलवाना , चाय पिलवाना , हर बार चाय पिलवाना भी हर बार धन्यवाद प्राप्ति की पात्रता रखता है .
- इसको इस ढंग से भी देखें कि अगर चाय पिलाने का इन्तजाम करना धन्यवाद प्राप्ति की पात्रता रखता है तो चाय पिलाने का वादा करना , चाय पिलाने के लिये बुलवाना , चाय पिलवाना , हर बार चाय पिलवाना भी हर बार धन्यवाद प्राप्ति की पात्रता रखता है .
- उसको देश का चेहरा चमकाना है , सड़क , मॉल औरो पुल बनवाना है , उस पर कार चलवाना है , आपको विदेशी शराब औरो कोल्ड ड्रिंक पिलवाना है , चावल-दाल के बदला में आपको पास्ता औरो नूडल्स खिलवाना है , हर हाथ में कंप्यूटर औरो मोबाइल देना है ... ।
- सुदामा प्रसाद और बेटों को चांक से नीम का उबला पानी पिलवाना , , पोतों की उंगलियाँ पकडकर सडक पार करवाना, बहुओं के लिए फेरीवाले से मोल-तोल कर चूडयाँ खरीदना, सूखे धनिया के स्वस्थ मोटे गोटे को सिल पर दररना, चावल और कंकड को एक-दूसरे से अलग करना....दीवानबाई वक्त की रफ्तार से कदम साधकर चलना चाहती थीं।‘