पुरोहित कर्म का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पर तू कम से कम मेरी इज्जत का तो खयाल कर ! तूने आज पहली बार पुरोहित कर्म किया है और मुझे मालूम है कि इस संसार मे तुमसे पुरोहित कर्म का पूछने की भी किसी की हिम्मत नही है !
- पर तू कम से कम मेरी इज्जत का तो खयाल कर ! तूने आज पहली बार पुरोहित कर्म किया है और मुझे मालूम है कि इस संसार मे तुमसे पुरोहित कर्म का पूछने की भी किसी की हिम्मत नही है !
- अत : आप पुरोहित कर्म के बदले मे मुझे यह स्वर्ण नगरी दे दिजिये ! भोले नाथ तो ओघड क्या महा ओघड दानी ठहरे , तुरन्त तथास्तु कह दिया ! पर माता पार्वती सहित अन्य उपस्थित लोग हत प्रभ रह गये और लक्षमी जी मुस्करा दी !
- अत : आप पुरोहित कर्म के बदले मे मुझे यह स्वर्ण नगरी दे दिजिये ! भोले नाथ तो ओघड क्या महा ओघड दानी ठहरे , तुरन्त तथास्तु कह दिया ! पर माता पार्वती सहित अन्य उपस्थित लोग हत प्रभ रह गये और लक्षमी जी मुस्करा दी ! ( क्रमश : )
- ब्रह्माजी का ये सुझाव सुनते ही भोलेनाथ मुस्करा उठे ! जैसे उनकी सारी चिन्ताएं मिट गई हों ! आखिर क्यॊं ना प्रशन्न होते ? दशानन रावण उनका परम प्रिय जो था ! पर क्या दशानन भोलेनाथ का पुरोहित कर्म करने कैलाश आयेगा ? आगे का हाल अगली बार (क्रमश:) मग्गाबाबा का प्रणाम !
- पुरोहितों को भी पता है कि “डिमाण्ड-सप्लाई” में भारी अन्तर है और उनके बिना यजमान का काम चलने वाला नहीं है , साथ ही एक बात और भी है कि जिस तरह से धार्मिकता और कर्मकाण्ड की प्रथा बढ़ रही है, अच्छा और सही पुरोहित कर्म करने वालों की भारी कमी महसूस की जा रही है।
- ब्रह्माजी का ये सुझाव सुनते ही भोलेनाथ मुस्करा उठे ! जैसे उनकी सारी चिन्ताएं मिट गई हों ! आखिर क्यॊं ना प्रशन्न होते ? दशानन रावण उनका परम प्रिय जो था ! पर क्या दशानन भोलेनाथ का पुरोहित कर्म करने कैलाश आयेगा ? आगे का हाल अगली बार ( क्रमश : ) मग्गाबाबा का प्रणाम !
- पुरोहितों को भी पता है कि “ डिमाण्ड-सप्लाई ” में भारी अन्तर है और उनके बिना यजमान का काम चलने वाला नहीं है , साथ ही एक बात और भी है कि जिस तरह से धार्मिकता और कर्मकाण्ड की प्रथा बढ़ रही है , अच्छा और सही पुरोहित कर्म करने वालों की भारी कमी महसूस की जा रही है।
- ऋषि वशिष्ठ ने सूर्य वंश की अन्य शाखाओं का पुरोहित कर्म छोड़कर केवल इक्ष्वाकु वंश के राज-गुरु पुरोहित के रूप में कार्य किया महर्षि वसिष्ठ ने सूर्यवंश का पौरोहित्य करते हुए अनेक लोक-कल्याणकारी कार्यों को पूर्ण किया तथा दशरथ से पुत्रेष्टि यज्ञ संपन्न करवाया कराया जिसके द्वारा राजा दशरथ को पुत्र रत्न रूप में राम , लक्ष्मण , भरत और शत्रुघन चार पुत्र प्राप्त होते हैं ,