प्रणिधान का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सदाचार ही ईश्र्वर प्रणिधान नियम है।
- अर्थात् प्रणिधान एक तरह का एकाग्र मानस ज्ञान सिद्ध होता है।
- शौच , संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्रणिधान, यह नियम हैं ॥३२॥
- संतोष , तप, स्वाध्याय, ईश्वर - प्रणिधान में गुरु भी समाहित है।
- संतोष , तप, स्वाध्याय, ईश्वर - प्रणिधान में गुरु भी समाहित है।
- नियम भी पांच हैं शौच , संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान.
- शौच , संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्रणिधान, यह नियम हैं ॥३२॥
- इनके अंतर्गत शौच , संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्रणिधान का समावेश है।
- इनके अंतर्गत शौच , संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर प्रणिधान का समावेश है।
- ईश्वर प्रणिधान - ईश्वर को धारण करना , मित्र की तरह सलाह लेना।