प्रमथन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम् ॥ भावार्थ : क्योंकि हे श्रीकृष्ण ! यह मन बड़ा चंचल , प्रमथन स्वभाव वाला , बड़ा दृढ़ और बलवान है।
- हे अर्जुन ! आसक्ति का नाश न होने के कारण ये प्रमथन स्वभाव वाली इन्द्रियां यन्त्र करते हुए बुध्दिमान पुरुष के मन को भी बलात् हर लेती हैं।
- भावार्थ : हे अर्जुन! आसक्ति का नाश न होने के कारण ये प्रमथन स्वभाव वाली इन्द्रियाँ यत्न करते हुए बुद्धिमान पुरुष के मन को भी बलात् हर लेती हैं॥60॥
- भावार्थ : हे अर्जुन ! आसक्ति का नाश न होने के कारण ये प्रमथन स्वभाव वाली इन्द्रियाँ यत्न करते हुए बुद्धिमान पुरुष के मन को भी बलात् हर लेती हैं॥ 60 ॥
- मनुष्य का मन अतिवेग वाला अश्व है इसकी लगाम में ढील देते ही यह मनुष्य को प्रमथन स्वभाव वाली इंद्रियों के साथ लेकर उड़ा ले जाता है और न करने योग्य कर्म में फंसा देता है ।
- मनुष् य का मन अतिवेग वाला अश् व है इसकी लगाम में ढील देते ही यह मनुष् य को प्रमथन स् वभाव वाली इंद्रियों के साथ लेकर उड़ा ले जाता है और न करने योग् य कर्म में फंसा देता है ।
- धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में अर्जुन ने विश्वम्भर कृष्ण से भी यही समस्या कही थी- ‘ चंचलः हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद् दृढम् ' - हे कृष्ण ! यह मन बड़ा की चंचल है , बड़े ही प्रमथन स्वभाववाला और बहुत ही बलवान् है।
- ६ / ३३ शब्दार्थ क्योंकि ( हि ) हे कृष्ण ( कृष्ण ) मन ( मनः ) चंचल ( चञ्चलं ) , प्रमथन स्वभाववाला - भ्रम पैदा करने वाला ( प्रमाथि ) , बलवान ( बलवत् ) , दृढ़ है ( दृढम् ) ।
- ६ / ३३ शब्दार्थ क्योंकि ( हि ) हे कृष्ण ( कृष्ण ) मन ( मनः ) चंचल ( चञ्चलं ) , प्रमथन स्वभाववाला - भ्रम पैदा करने वाला ( प्रमाथि ) , बलवान ( बलवत् ) , दृढ़ है ( दृढम् ) ।