प्रलम्ब का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कुछ पाठकों ने एक-दो वाक्यों के पत्रों द्वारा रस्मअदायगी की है तो कुछ सुधी पाठकों ने प्रलम्ब पत्र लिखकर प्रेरणा की सटीक समीक्षायें प्रस्तुत की हैं।
- फिर भी हयग्रीव , केशी , प्रलम्ब , धेनुक , अरिष्ट , वृषयऋ पूतना , कालिया नाग को खबर दे दो कि वह स्वेच्छापूर्वक परिवर्तन कर भूमंजल में विचरण करें ।
- फिर भी हयग्रीव , केशी , प्रलम्ब , धेनुक , अरिष्ट , वृषयऋ पूतना , कालिया नाग को खबर दे दो कि वह स्वेच्छापूर्वक परिवर्तन कर भूमंजल में विचरण करें ।
- इसप्रकार संसारकी अति प्रलम्ब महायात्रा पर चले हुए आत्मा का सम्बन्ध सूक्ष्मशरीर से बराबर बना रहता है , जो कि आत्मा का एक आवेष्टन-लपेटन रूप माना गया है॥ 3 / 3 ॥
- तहाँ कृष्ण बलराम गायें छोड़ सखा समेत आपस में अनूठे-अनूठे खेल खेल रहे थे कि इतने में कंस का पठाया ग्वाल का रूप बनाय प्रलम्ब नाम राक्षस आया , विसे देखते ही श्री कृष्णचन्द्र ने बलदेवजी को सैन से कहा ''
- बोले , क्या सत्य नहीं मेरे वे पहले स्वप्न जिनमें अनेक बार मैं हूँ समाई इन प्रलम्ब पुष्ट बाँहों में तुम्हारी ? मिथ्या क्या है मेरे अंतर का देवता जिसने आकर्षण से मुझको है बाँधा नित संग से तुम्हारे ? बोलो , क्यों संभव नहीं हम दोनों का मिलकर पूर्णकाम होना ? क्यों तुमको मेरा यह अनथक अनुरागभरा यौवन का स्वस्थ आलिंगन स्वीकार नहीं ? ”
- 14 त्र् यदि देवता फूल न बरसाते तो प्रलम्ब और कंस को लोक उत्पीड़क था लोकशत्रा मानने को शुक्ल जी तैयार न थे ! सच तो यह है कि सूरदास देवताओं के उतने मोहताज न थे , उनकी दृष्टि धरती की ओर है आकाश की ओर नहीं ! इसीलिए देवताओं की प्रसन्नता की अपेक्षा वह मनुष्यों की प्रसन्नता को और देव लोक की अपेक्षा मानव लोक को ज्यादा महत्व देते हैं ..