प्राण-संकट का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यदि उनका पालन न किया गया और लोकेषणा से उत्पन्न विष का नियमित रूप से निष्कासन न किया गया , तो वही दुर्गति होगी जो भोजन करने तथा मल विसर्जन में उपेक्षा बरतने पर प्राण-संकट के रूप में उत्पन्न होती है ।
- यदि मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ करे तो वह दैविक तथा भौतिक भय , व्याधि , स्थावर-जंगमसम्बन्धी विष , राजा का भयंकर शस्त्र-भय , ग्रहों का भय , जल , सर्प , महावृष्टि , दुर्भिक्ष तथा प्राण-संकट आदि सभी प्रकार के भयों से मुक्त हो जाता है।