बद्रीकाश्रम का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस संदर्भ में कथा है कि मुर नामक असुर से युद्घ करते हुए जब भगवान विष्णु थक गए तब बद्रीकाश्रम में गुफा में जाकर विश्राम करने लगे।
- कनोता रोड़ स्थित बद्रीकाश्रम में सबसे ऊंची 52 फुट ऊंची शिव प्रतिमा व बारह ज्योतिर्लिग की पूजा अर्चना के लिए आस-पास के इलाकों से लोग उमड़ पड़े।
- शंकराचार्यजी द्वारा स्थापित चार पीठों गोवर्धनमठ ( पुरी ) , ज्योर्तिमठ ( बद्रीकाश्रम ) , श्रंगेरी मठ तथा शारदा पीठ ( द्वारिका ) में त्यागी , तपस्वी तथा विद्वान आचार्यों की गौरवपूर्ण परंपरा रही है।
- जब वे अपने धाम कैलास पर जा रहे थे तो बद्रीकाश्रम में अलकापुरी कुबेर नगरी से आ रही मां अलकनंदा में स्नान करके भगवान शिव बद्रीनाथ धाम की ओर बढ़ने लगे कि 200 मी . पूर्व ही एक चमत्कार हुआ।
- आठ वर्ष की अवस्था में गोविन्दपाद के शिष्यत्व को ग्रहण कर संन्यासी हो जाना , पुन: वाराणसी से होते हुए बद्रिकाश्रम तक की पैदल यात्रा करना, सोलह वर्ष की अवस्था में बद्रीकाश्रम पहुंच कर ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखना, सम्पूर्ण भारत वर्ष में भ्रमण कर अद्वैत वेदान्त का प्रचार करना, दरभंगा में जाकर मण्डनमिश्र से शास्त्रार्थ कर वेदान्त की दीक्षा देना तथा मण्डन मिश्र को संन्यास धारण कराना, भारतवर्ष में प्रचलित तत्कालीन कुरीतियों
- आठ वर्ष की अवस्था में गोविन्दपाद के शिष्यत्व को ग्रहण कर संन्यासी हो जाना , पुन: वाराणसी से होते हुए बद्रिकाश्रम तक की पैदल यात्रा करना, सोलह वर्ष की अवस्था में बद्रीकाश्रम पहुंच कर ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखना, सम्पूर्ण भारत वर्ष में भ्रमण कर अद्वैत वेदान्त का प्रचार करना, दरभंगा में जाकर मण्डनमिश्र से शास्त्रार्थ कर वेदान्त की दीक्षा देना तथा मण्डन मिश्र को संन्यास धारण कराना, भारतवर्ष में प्रचलित तत्कालीन कुरीतियों को दूर कर समभा
- अष्टसिद्धि के साथ नवनिधि का सयोंग बनता है और नवमुखी रूद्राक्ष धारक को नवनिधि , हाथी , घोड़े , रथ , दुर्ग , स्त्री , स्वर्ण , शस्त्र , धन , और धान्य मिलने के संयोग बनते है तथापि जो नो मोक्षदायक तीर्थ हैं ( नैमिष , पुस्कर , गया , मथुरा , द्वारका , बद्रीकाश्रम , कु रूक्षेत्र , नमर्दा तथा पुरूषोत्तम ) उनमें स्नान करने का फल प्राप्त होता है ऐसा नारदीय पुराण में लिखा है।
- अष्टसिद्धि के साथ नवनिधि का सयोंग बनता है और नवमुखी रूद्राक्ष धारक को नवनिधि , हाथी , घोड़े , रथ , दुर्ग , स्त्री , स्वर्ण , शस्त्र , धन , और धान्य मिलने के संयोग बनते है तथापि जो नो मोक्षदायक तीर्थ हैं ( नैमिष , पुस्कर , गया , मथुरा , द्वारका , बद्रीकाश्रम , कु रूक्षेत्र , नमर्दा तथा पुरूषोत्तम ) उनमें स्नान करने का फल प्राप्त होता है ऐसा नारदीय पुराण में लिखा है।
- आठ वर्ष की अवस्था में गोविन्दपाद के शिष्यत्व को ग्रहण कर संन्यासी हो जाना , पुन: वाराणसी से होते हुए बद्रिकाश्रम तक की पैदल यात्रा करना, सोलह वर्ष की अवस्था में बद्रीकाश्रम पहुंच कर ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखना, सम्पूर्ण भारत वर्ष में भ्रमण कर अद्वैत वेदान्त का प्रचार करना, दरभंगा में जाकर मण्डनमिश्र से शास्त्रार्थ कर वेदान्त की दीक्षा देना तथा मण्डन मिश्र को संन्यास धारण कराना, भारतवर्ष में प्रचलित तत्कालीन कुरीतियों को दूर कर समभावदर्शी धर्म की स्थापना