बुरी प्रवृत्ति का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अंबाला , जागरण संवाद केंद्र छावनी सनातन धर्म मंदिर में चल रहे चैतन्य महाप्रभु कथामृत के दौरान चैतन्य गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि प्रेमभाव से ही मानव की बुरी प्रवृत्ति बदली जा सकती है।
- यह सुनकर व्यक्ति सुकरात के आगे नतमस्तक होकर बोला , 'हां महाराज, वाकई मैं सब में बुराई देखने के कारण बुरी प्रवृत्ति की ओर ही ध्यान देता था लेकिन अब मैं अच्छाई की ओर प्रवृत्त रहूंगा।'
- अर्थशास्त्री मार्टिन वुल्फ कहते हैं कि व्यापार में आई इस गिरावट के कारण जर्मनी और जापान जैसे कुछ देषों में आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था ( Autarky and Lebensraum ) की ओर बढ़ने जैसी एक बुरी प्रवृत्ति का विकास हुआ।
- क्लार्क काउंटी के न्यायाधीश को हेंडरसन शहर के वकील ने तर्क दिया कि 6 वर्षीय रोडेशियन बुरी प्रवृत्ति वाला है और बिना इजाजत के एक तीसरी पार्टी का इस परिवार के साथ कोई संबंध नहीं होना चाहिए।
- अब जो प्रतिदिन बुरे से बुरा देखने को मिल रहा है उसके बाद सामान्य रूप से अगर कोई बुरी प्रवृत्ति उपजा ले तो किया क्या जाये ? इंसान और इंसान की फितरत कब किस रूप में बदलने को उतारू हो जाये इसका कोई अंदाजा तो रहता नही।
- अब जो प्रतिदिन बुरे से बुरा देखने को मिल रहा है उसके बाद सामान्य रूप से अगर कोई बुरी प्रवृत्ति उपजा ले तो किया क्या जाये ? इंसान और इंसान की फितरत कब किस रूप मे बदलने को उतारू हो जाये इसका कोई अंदाजा तो रहता नही ।
- अर्थात् ? अर्थात् हम शरीर को मार कर कभी भी बुराइयों को खत्म नहीं कर सकतेl ये बुरी प्रवृत्ति वाली चैतन्य इकाइयाँ जब मानव शरीर दोबारा धारण करती है और उसे फिर से बुराइयों से भरा वातावरण मिलता है तो फिर से वह वही अपराध दोहराएगी अपने साधन अर्थात शरीर का गलत उपयोग करेगीl ओह ! तब क्या किया जाये ? चूँकि मानव में अच्छी प्रवृत्ति व बुरी प्रवृत्ति रहती है अच्छी प्रवृत्ति तो ठीक है पर यह ज्यादा अच्छा होगा कि इन प्रवृत्तियों के स्थान पर संस्कार स्थापित हो जाये .
- अर्थात् ? अर्थात् हम शरीर को मार कर कभी भी बुराइयों को खत्म नहीं कर सकतेl ये बुरी प्रवृत्ति वाली चैतन्य इकाइयाँ जब मानव शरीर दोबारा धारण करती है और उसे फिर से बुराइयों से भरा वातावरण मिलता है तो फिर से वह वही अपराध दोहराएगी अपने साधन अर्थात शरीर का गलत उपयोग करेगीl ओह ! तब क्या किया जाये ? चूँकि मानव में अच्छी प्रवृत्ति व बुरी प्रवृत्ति रहती है अच्छी प्रवृत्ति तो ठीक है पर यह ज्यादा अच्छा होगा कि इन प्रवृत्तियों के स्थान पर संस्कार स्थापित हो जाये .