भव-बन्धन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इष्ट ( यज्ञ-यागदि) और आपूर्त (कूप-वाटिका-निर्माण आदि) कर्म कितनी ही अधिक संख्या में क्यों न किये जायँ, वे ही भव-बन्धन के कारण बनते हैं।
- भवे हेतूनि तान्येव हरेर्नाम तु मुक्तिदम्॥ ( बोधायनसंहिता) इष्ट (यज्ञ-यागदि) और आपूर्त (कूप-वाटिका-निर्माण आदि) कर्म कितनी ही अधिक संख्या में क्यों न किये जायँ, वे ही भव-बन्धन के कारण बनते हैं।
- तुलसीदास के अनुसार रावण सोचता है कि यदि स्वयं भगवान ने अवतार लिया है तो मैं जाकर उनसे हठपूर्वक वैर करूंगा और प्रभु के बाण के आघात से प्राण छोड़कर भव-बन्धन से मुक्त हो
- तुलसीदास के अनुसार रावण सोचता है कि यदि स्वयं भगवान ने अवतार लिया है तो मैं जाकर उनसे हठपूर्वक वैर करूंगा और प्रभु के बाण के आघात से प्राण छोड़कर भव-बन्धन से मुक्त हो जाऊंगा।
- तुलसीदास के अनुसार रावण सोचता है कि यदि स्वयं भगवान ने अवतार लिया है तो मैं जाकर उनसे हठपूर्वक वैर करूंगा और प्रभु के बाण के आघात से प्राण छोड़कर भव-बन्धन से मुक्त हो जाऊंगा।
- तुलसीदास के अनुसार रावण सोचता है कि यदि स्वयं भगवान ने अवतार लिया है तो मैं जाकर उनसे हठ पूर्वक बैर करूंगा और प्रभु के बाण के आघात से प्राण छोड़कर भव-बन्धन से मुक्त हो जाऊंगा।
- तुलसीदास के अनुसार रावण सोचता है कि यदि स्वयं भगवान ने अवतार लिया है तो मैं जाकर उनसे हठ पूर्वक बैर करूंगा और प्रभु के बाण के आघात से प्राण छोड़कर भव-बन्धन से मुक्त हो जाऊंगा।
- जो किरीट और कुण्डलों से विभूषित , पीताम्बरधारी , वनमाला तथा कौस्तुभमणि को धारण करने वाले , सुन्दर कमलों के समान नेत्र वाले भगवान श्री विष्णु का ध्यान करता है वह भव-बन्धन से मुक्त हो जाता है।
- भगवान राम के ध्यानपूर्वक आवरण की पूजा सभी सुखों को प्रदान करती है भगवान राम ‘ मोक्ष ' की प्राप्ति का मार्ग हैं , भगवान राम गदा , चक्र , शंख और कमल को अपने हाथों में धारण किये भव-बन्धन के नाशक हैं .
- पवन-संचरण के साथ ही परिमल-पराग-सम अतीत की विभूति-रज- आशीर्वाद पुरुष-पुरातन का भेजते सब देशों में ; क्या है उद्देश तव ? बन्धन-विहीन भव ! ढीले करते हो भव-बन्धन नर-नारियों के ? अथवा , हो मलते कलेजा पड़े , जरा-जीर्ण , निर्निमेष नयनों से बाट जोहते हो तुम मृत्यु की अपनी संतानों से बूँद भर पानी को तरसते हुए ?