मणिपुष्पक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर नें अपना अनन्त विजय नामक शंख , नकुल नें सुघोष और सहदेव नें अपना मणिपुष्पक नामक शंख बजाये।
- अर्जुन शंख देवदत्त , भीम का पौंड्र , युधिष्ठर का अनंतविजय , नकुल का सुघोष और सहदेव का शंख मणिपुष्पक नाम से जाना जाता था।
- युधिष्ठिर ने अनंत विजय और नकुल सहदेव ने क्रमशः सुघोष और मणिपुष्पक नामके शंख बनाए -फिर तो अनेक योद्धाओं ने अपने अपने शंख बजकर तुमुल घोष किये।
- ¬ मणिपुष्पक शंखायः मम् गृह धनवृद्धि कुरु-कुरु स्वाहाः मंत्र का 11 दिन तक प्रतिदिन मोती माला से 108 बार एक माला रोजाना जप कर उसे अभिमंत्रित कर लेना चाहिए।
- य , युधिष्ठुर ने अनन्तविजय , भीम ने पौण्ड्र , अर्जुन ने देवदत्त , नकुल ने सुघोष एवं सहदेव ने मणिपुष्पक नामक शंखो का प्रचंड नाद करके कौरव सेना में भय का संचार कर दिया था।
- महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण ने पांच जन्य , अर्जुन ने देवदŸा , महाबली भीम ने पौंड्र , धर्मराज युधिष्ठर ने अनंत विजय , नकुल ने सुघोष और सहदेव ने मणिपुष्पक शंख का नाद किया था।
- जैस लक्ष्मी शंख , गौमुखी शंख , कामधेनु शंख , विष्णु शंख , देव शंख , चक्र शंख , पौंड्र शंख , सुघोष शंख , मणिपुष्पक शंख , राक्षस शंख , शेषनाग शंख , शनि , राहु , केतु आदि शंख।
- जैस लक्ष्मी शंख , गौमुखी शंख , कामधेनु शंख , विष्णु शंख , देव शंख , चक्र शंख , पौंड्र शंख , सुघोष शंख , मणिपुष्पक शंख , राक्षस शंख , शेषनाग शंख , शनि , राहु , केतु आदि शंख।
- पांचजन्य , देवदत्त , पोंड्र , सुघोष और मणिपुष्पक शंखों की तीव्र ध्वनि पांडवों के द्वारा की गई | उस भयंकर शब्द ने आकाश और पृथिवी को नाद से व्याप्त करते हुए धृतराष्ट्र पुत्रों के हृदयों को विदीर्ण कर दिया |
- इन तीन प्रकार के शंखों के अलावा और भी अनेक प्रकार के शंख पाए जाते हैं जैसे लक्ष्मी शंख , गरुड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, गोमुखी शंख, देव शंख, राक्षस शंख, विष्णु शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, शनि शंख, राहु एवं केतु शंख।