मध्य-मार्ग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसीलिए मुझे लगता है कि भावनाओं और व्यवस्था के बीच ऐसा कारगर मध्य-मार्ग तलाशने की ज़रूरत है जिसके ज़रिए भ्रष्टाचार समेत दूसरी गड़बड़ियों को रोका जा सके .
- भाजपा के लिये थोडी असमंजस की स्थिति जरूर है परंतु वह भी सावधानी बरतते हुए इस विधेयक मे संशोधन लाकर एक मध्य-मार्ग के विकल्प से अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश मे है।
- कानून के समकालीन दार्शनिक रोनॉल्ड डोर्किन का अध्ययन भी गौरतलब है जिन्होनें न्यायशास्त्र के रचनावादी सिद्धांत की वकालत की है जिसे प्राकृतिक कानून के सिद्धांतों एवं सामान्य न्यायशास्त्र के वस्तुनिष्ठवादी सिद्धांतों के मध्य-मार्ग के रूप में विशेष रूप से चिन्हित किया जा सकता है .
- #१ विचार से सहमत , #२ असहमत, या #३ दोनों में से कोई भी नहीं ('नेति नेति'), जो बुद्ध द्वारा 'मध्य-मार्ग' कहा गया और सही माना गया...लेकिन “पसंद अपनी-अपनी, ख्याल अपना-अपना”...गंगा. यमुना, ब्रह्मपुत्र नदियाँ, तीनों, समुद्र (बंगाल की खाडी) में मिलने से पहले - पद्म के नाम से (ब्रह्मा की कमल रुपी कुर्सी!) - पहले अलग अलग मार्ग में भी चलती हैं जिसे प्रकृति का संकेत भी माना जा सकता है की 'अंत भले का भला'...
- कलियुग में वैसे ही आरंभ में विष का पाया जाना निश्चित माना गया था , ज्ञानी पुरुषों द्वारा ,,, और इस कारण , महात्मा बुद्ध के उपदेश समान , ' मध्य-मार्ग ' अपनाना ही सही होगा , जैसा आपने भी कहा है और प्राचीन ज्ञानियों का कथन भी उपलब्ध है , “ अति का भला न बरसना , अति की भली न धूप / अति का भला न बोलना , अति की भली न चुप्प ” ...
- कलियुग में वैसे ही आरंभ में विष का पाया जाना निश्चित माना गया था , ज्ञानी पुरुषों द्वारा ,,, और इस कारण , महात्मा बुद्ध के उपदेश समान , ' मध्य-मार्ग ' अपनाना ही सही होगा , जैसा आपने भी कहा है और प्राचीन ज्ञानियों का कथन भी उपलब्ध है , “ अति का भला न बरसना , अति की भली न धूप / अति का भला न बोलना , अति की भली न चुप्प ” ...
- कलियुग में वैसे ही आरंभ में विष का पाया जाना निश्चित माना गया था , ज्ञानी पुरुषों द्वारा ,,, और इस कारण , महात्मा बुद्ध के उपदेश समान , ' मध्य-मार्ग ' अपनाना ही सही होगा , जैसा आपने भी कहा है और प्राचीन ज्ञानियों का कथन भी उपलब्ध है , “ अति का भला न बरसना , अति की भली न धूप / अति का भला न बोलना , अति की भली न चुप्प ” ...