मलूल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यह इस लिए है कि समाज में जो व्यक्ति अपने काम से दूर है जैसे बिमारी , मलूल , बिसर्प्रस्त , यति म. ....
- * ज़िबस = बहुत , मलूल = खिन्न, * गोयम मुश्किल वगर्ना गोयम मुश्किल = आसान कहता हूँ तो मेरे लिए कठिनाई है और अगर नहीं कहता तो भी कठिनाई है ।
- * ज़िबस = बहुत , मलूल = खिन्न, * गोयम मुश्किल वगर्ना गोयम मुश्किल = आसान कहता हूँ तो मेरे लिए कठिनाई है और अगर नहीं कहता तो भी कठिनाई है ।
- रफ़ीक-ए-राह थी मंज़िल हर इक तलाश के बाद छुटा ये साथ तो रह की तलाश भी ना रही मलूल था दिल-ए-आइना हर ख़राश के बाद जो पाश-पाश हुआ इक ख़राश भी ना रही
- रफ़ीक-ए-राह थी मंज़िल हर इक तलाश के बाद छुटा ये साथ तो रह की तलाश भी ना रही मलूल था दिल-ए-आइना हर ख़राश के बाद जो पाश-पाश हुआ इक ख़राश भी ना रही - फ़ैज़
- गर्मियाँ तो जाती हैं वो रुतें भी आती हैं जब मलूल रातों में दोस्तों की बातों में जी न चैन पाएगा और ऊब जाएगा आहटों से गूँजेगी शहर-ए-दिल की पिन्हाई और चाँद रातों में चाँदनी के शैदाई हर बहाने निकलेंगे आज़माने निकलेंगे आरज़ू की गीराई ढूँढने को रुसवाई सर्द सर्द रातों को ज़र्द चाँद बख्शेगा बेहिसाब तन्हाई बेहिजाब तन्हाई शहर-ए-दिल की गलियों में . ..
- तड़प के तोड़ गया दम हिजाब का पंछी झुकी है इस तरह इख़लाक़ की कमाँ यारो ! ख़ुलूस बिकता है ईमान-ओ-सिदक़ बिकते हैं बड़ी अजीब है दुनिया की ये दुकाँ यारो ! ये ज़िन्दगी तो बहार-ओ-ख़िज़ाँ का संगम है ख़ुशी ही दायमी ,ग़म ही न जाविदाँ यारो ! क़रार अहल-ए-चमन को नसीब हो कैसे कि हमज़बान हैं सैयाद-ओ-बाग़बाँ यारो! हमारा दिल है किसी लाला ज़ार का बुलबुल कभी मलूल कभी है ये शादमाँ यारो !