महार्णव का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मंत्र महार्णव के तीसरे खंड मे जो धनदा यक्षिणी का विबरण और यन्त्र दिया हैं वह प्रामाणिक नही ठहरता हैं क्योंकि उसका आधार शून्य से हैं .
- मंत्र महार्णव में- यस्य स्मरण मात्रेण पवनोऽपि स्थिरायते अर्थात इस तंत्र को सिद्ध कर लेने के बाद इसके स्मरण मात्र से ही प्रचंड पवन भी स्थिर हो जाता है।
- अखिलेश शर्मा का मत है कि शुक्ल पक्ष की पंचमी के हस्त नक्षत्र से युक्त होने पर उपाकर्म किया जाना चाहिए , जैसा कि मदनरत्न और स्मृति महार्णव में आया है-
- मृत्युंजय जप , प्रकार एवं प्रयोगविधि का मंत्र महोदधि , मंत्र महार्णव , शारदातिक , मृत्युंजय कल्प एवं तांत्र , तंत्रसार , पुराण आदि धर्मशास्त्रीय ग्रंथों में विशिष्टता से उल्लेख है।
- पुरश्चरण : मंत्र महार्णव के अनुसार बगलामुखी मंत्र एक लाख जप करने पर सिद्ध हो जाता है , लेकिन कुछ अन्य तंत्र ग्रंथों के अनुसार इस मंत्र के पुरश्चरण में सवा लाख मंत्रों का जप होना चाहिए।
- नारद पुराण , नारद संहिता , राज निघंटु , नारयणी संहिता , वृहद ध्रुश्रुत , शारदा तिलक , मंत्र महार्णव , श्रीविद्या पर्व आदि विभिन्न ग्रंथों में व्यक्ति विशेष की राशि तथा नक्षत्र के अनुसार वृक्षारोपण के एक निश्चित क्रम का उल्लेख है।
- दो से अठारह भुजा एवं एक मुखी से दशमुखी मूर्तियों का पूजन होता है और इनसे संबंधित मंत्र , कवच , यंत्र , स्तोत्र आदि का विधान तंत्र शास्त्र के मान्य ग्रंथों मंत्र महार्णव , मंत्रमहोदधि , शारदा तिलक , तंत्र सार आदि में विस्तार से पाया जाता है।