मांडूक्य उपनिषद् का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- - मांडूक्य उपनिषद् “ . परब्रह्म परमेश्वर की की रचना : 1 . अम्भ > जन ; तप : और सत्यलोक है .
- विधुशेखर भट्टाचार्य का तो कहना है कि ये कारिकाएँ पहले लिखी गईं थीं और बाद में इन्हीं के आधार पर मांडूक्य उपनिषद् की रचना हुई।
- विधुशेखर भट्टाचार्य का तो कहना है कि ये कारिकाएँ पहले लिखी गईं थीं और बाद में इन्हीं के आधार पर मांडूक्य उपनिषद् की रचना हुई।
- वस्तुत : तुरीयावस्था निराकार अवस्था ही है जिसे मांडूक्य उपनिषद् में अ उ म् इन तीनों को साकार / जाग्रत , स्वप्न और सुषुप्ति बताया है और इसी ओम् के निराकार स्वरूप चौथे पाद को निराकार / तुरीयावस्था बताया है प्रभुजी ...