माण्डूक्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसलिए वे रुक नहीं सकते।” भगवान् श्री गौडपादाचार्य ने भी माण्डूक्य
- माण्डूक्य उपनिषद् कहती है कि सब कुछ ब्रह्म ही है .
- माण्डूक्य उपनिषद के अनुसार हमारे अस्तित्व की चार अवस्थायें होती हैं।
- यह कार्य पतंजलि योग सूत्र और माण्डूक्य उपनिषद में भलीभाँति किया गया है।
- इसके बाद उन्होंने ब्रह्म सूत्र , भगवद्गीता, और ११ उपनिषदों (कठ, केन, माण्डूक्य, ईशावास्य,
- ये हैं - ईश , केन, माण्डूक्य, मुण्डक, तैत्तिरीय, ऐतरेय, प्रश्न, छान्दोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद।
- जी ने देखा कि माण्डूक्य तो आसानी से लोगों को समझ में आयेगा नहीं और
- प्रमुख उपनिषद हैं- ईश , केन, कठ, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, श्वेताश्वतर, बृहदारण्यक, कौषीतकि, मुण्डक, प्रश्न, मैत्राणीय आदि।
- अर्थात चेतना का ऊर्जामय रूप ब्रह्म है ! माण्डूक्य (९) उपनिषद में यह भी लिखा है कि ,&
- अर्थात चेतना का ऊर्जामय रूप ब्रह्म है ! माण्डूक्य (९) उपनिषद में यह भी लिखा है कि ,&