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मिलन यामिनी का अर्थ

मिलन यामिनी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. मुरली तेरा मुरलीधर 7 जाग न जाने कब वह आकर खटका देगा पट मधुकर सतत सजगता से ही निर्जल होता अहमिति का निर्झर मूढ़ विस्मरण में निद्रा में मिलन यामिनी दे न बिता टेर रहा विस्मरणविनाशा मुरली तेरा मुरलीधर।।
  2. इसके अतिरिक्त मधुबाला , मधुकलश , निशा निमंत्रण , खादि के फूल , सूत की माला , मिलन यामिनी , बुद्ध और नाच घर , चार खेमे चौंसठ खूंटे , दो चट्टानें जैसी काव्य की रचना बच्चन ने की है .
  3. इसके अतिरिक्त मधुबाला , मधुकलश , निशा निमंत्रण , खादि के फूल , सूत की माला , मिलन यामिनी , बुद्ध और नाच घर , चार खेमे चौंसठ खूंटे , दो चट्टानें जैसी काव्य की रचना बच्चन ने की है .
  4. मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं . ..
  5. मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं . ..
  6. मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं
  7. मैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलामादकता भूला साकी नयनों कीमधु की मदहोशी भूलाप्यालों की खनक पायल झंकारमधुबाला की डपट-दुलार भूलामैं मिलन यामिनी का सुख-सार भूलाकंचन देह की द्युति भूलासाँसों में महकता कचनार भूलाचपलता भूला मृग नयनों कीओंठो से हुआ अभिसार भूलामैं
  8. उनके समग्र कविता संग्रह में मधुशाला से लेकर मधुकलश , निशा निमंत्रण, आकुल अंतर, बंगाल का काल, खादी के फूल, धार के इधर-उधर, त्रिभंगिमा, बहुत दिन बीते, जाल समेटा, प्रणय पत्रिका, एकांत संगीत, मिलन यामिनी, बुध व नाचघर, सूत की माला, आरती और अंगारे आदि प्रमुख हैं।
  9. मिलन यामिनी जैसा कार्यक्रम मूझे ( किसीकी भी याददास्त १ ०० % नहीं हो सकती इस लिये शायद मूझसे यह बात छूट रही होगी ) याद नहीं आ रहा है , पर एक समय कुछ ऐसा याद आ रहा है , जब रात्री १ ० .
  10. निशा-निमंत्रण ' , ‘ प्रणय पत्रिका ' , ‘ मधुकलश ' , ‘ एकांत संगीत ' , ‘ सतरंगिनी ' , ‘ मिलन यामिनी ' , ” बुद्ध और नाचघर ' , ‘ त्रिभंगिमा ' , ‘ आरती और अंगारे ' , ‘ जाल समेटा ' , ‘ आकुल अंतर ' तथा ‘ सूत की माला ' नामक संग्रहों में आपकी रचनाएँ संकलित हैं।
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