मुआहिदा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- और जो मुआहिदा किया था वह तोड़ दिया और उनका एक सरकार कअब बिन अशरफ़ यहूदी चालीस सवारों के साथ मक्कए मुकर्रमा पहुंचा और काबा मुअज़्ज़मा के पर्दें थाम कर क़ुरैश के सरदारों से रसूले करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के ख़िलाफ़ समझौता किया .
- तुहारा दीन तुम्हारे लिए है , हमारा हमारे लिए है . '' मगर फफिरों के नारगे से निकलते ही सुलह किए हुए मुआहिदा को तोड़ दिया और सूरह तौबा नाज़िल कर दिया जो अल्लाह के नाम से शुरू नहीं होती कि इसमें मुआहिदा शिकनी है , बाक़ी तमाम ११ ३ सूरह '' बिस्मिल्ला हिररहमा निररहीम '' से शुरू हुई हैं , इसे छोड़ कर .
- तुहारा दीन तुम्हारे लिए है , हमारा हमारे लिए है . '' मगर फफिरों के नारगे से निकलते ही सुलह किए हुए मुआहिदा को तोड़ दिया और सूरह तौबा नाज़िल कर दिया जो अल्लाह के नाम से शुरू नहीं होती कि इसमें मुआहिदा शिकनी है , बाक़ी तमाम ११ ३ सूरह '' बिस्मिल्ला हिररहमा निररहीम '' से शुरू हुई हैं , इसे छोड़ कर .
- आज दिल फिर शाद के फूलों से नहाया है खुशबू का इक मंज़र तेरी याद बन आया है मैंने भेजे थे कुछ पैगाम पीपल के पत्तों पर बादल भीगी पलकों से उनके जवाब लाया है मुआहिदा* किया जब-जब तेरा हवाओं से दुपट्टा हया का आँखों तक सरक आया है महजूज़* है , ममनून* है दिल का परिंदा नगमा मोहब्बत का लबों पे उतर आया है अय खुश्क लम्हों चलना जरा किनारे से हीर की मजार पे सुर्ख फूल खिल आया है मुआहिदा - ज़िक्र , मह्जूज - आनंदित , ममनून- आभारी
- @सुज्ञ जी , मक्के में कथित काफिरों के निशाने पर आ जाने के वक़्त मुहम्मद ने काफिरों से सुलह करके मुआहिदा किया था तब कुरआन की यह आयत “लकुम दीनाकुम वाले यदीन” मुहम्मद के मुंह में आई जिसका मतलब हुआ “तुहारा दीन तुम्हारे लिए है, हमारा हमारे लिए है .”मगर फफिरों के नारगे से निकलते ही सुलह किए हुए मुआहिदा को तोड़ दिया और सूरह तौबा नाज़िल कर दिया जो अल्लाह के नाम से शुरू नहीं होती कि इसमें मुआहिदा शिकनी है, बाक़ी तमाम ११३ सूरह “बिस्मिल्ला हिररहमा निररहीम” से शुरू हुई हैं, इसे छोड़ कर .
- @सुज्ञ जी , मक्के में कथित काफिरों के निशाने पर आ जाने के वक़्त मुहम्मद ने काफिरों से सुलह करके मुआहिदा किया था तब कुरआन की यह आयत “लकुम दीनाकुम वाले यदीन” मुहम्मद के मुंह में आई जिसका मतलब हुआ “तुहारा दीन तुम्हारे लिए है, हमारा हमारे लिए है .”मगर फफिरों के नारगे से निकलते ही सुलह किए हुए मुआहिदा को तोड़ दिया और सूरह तौबा नाज़िल कर दिया जो अल्लाह के नाम से शुरू नहीं होती कि इसमें मुआहिदा शिकनी है, बाक़ी तमाम ११३ सूरह “बिस्मिल्ला हिररहमा निररहीम” से शुरू हुई हैं, इसे छोड़ कर .
- @सुज्ञ जी , मक्के में कथित काफिरों के निशाने पर आ जाने के वक़्त मुहम्मद ने काफिरों से सुलह करके मुआहिदा किया था तब कुरआन की यह आयत “लकुम दीनाकुम वाले यदीन” मुहम्मद के मुंह में आई जिसका मतलब हुआ “तुहारा दीन तुम्हारे लिए है, हमारा हमारे लिए है .”मगर फफिरों के नारगे से निकलते ही सुलह किए हुए मुआहिदा को तोड़ दिया और सूरह तौबा नाज़िल कर दिया जो अल्लाह के नाम से शुरू नहीं होती कि इसमें मुआहिदा शिकनी है, बाक़ी तमाम ११३ सूरह “बिस्मिल्ला हिररहमा निररहीम” से शुरू हुई हैं, इसे छोड़ कर .