मुखतलिफ़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- विभिन्न सरकार संस्थानों , राजनैतिक पार्टियों , व्यापार मंडलों और मुखतलिफ़ कौमो-मज़हब के लोग न सिर्फ़ रोजा-इफ्तार पार्टियों में शामिल होते हैं , बल्कि पूरी लगन और मेहनत से इसका आयोजन भी करते हैं।
- इनकी शाइरी में ज़िंदगी के फ़लसफ़ों का दीदार आप कर सकते हैं , कुछ नसीहतें भी हैं , आम आदमी की हताशा भी है और शाइरी के दूसरे भी मुखतलिफ़ - मुखतलिफ़ रंग भी।
- इनकी शाइरी में ज़िंदगी के फ़लसफ़ों का दीदार आप कर सकते हैं , कुछ नसीहतें भी हैं , आम आदमी की हताशा भी है और शाइरी के दूसरे भी मुखतलिफ़ - मुखतलिफ़ रंग भी।
- वैसे तो हर शहर दो कहानियां कहता है दो रूप रखता है पर दिल्ली का एक रूप दूसरे से इतना मुखतलिफ़ है कि शक होता है इस शहर को ' स्प्लिट पर्स्नेलिटी ' वाली बीमारी तो नहीं . '
- क्योंकि समाज में मुख़तलिफ़ तबियतों , मुख़तलिफ़ सलीक़ों , मुख़तलिफ़ और मुख़तलिफ़ फ़िक्र व नज़र के लोग मौजूद होते हैं और यह बात वाज़ेह है कि फ़र्दी ज़िन्दगी मुख़तलिफ़ गिरोह व मुखतलिफ़ फ़िक्र व नज़र वाले अफ़राद के साथ बहुत सख़्त और दुशवार है।
- वैसे तो हर शहर दो कहानियां कहता है दो रूप रखता है पर दिल्ली का एक रूप दूसरे से इतना मुखतलिफ़ है कि शक होता है इस शहर को ' स्प्लिट पर्स्नेलिटी' वाली बीमारी तो नहीं. 'नो वन किल्लिड जेसिका' दिल्ली की इस बीमारी के साथ इन्साफ़ नहीं कर सकी है.
- वह काली रात आमिर 20 फरवरी 1998 की वह काली रात नहीं भूलते जब उन्हें कुछ पोलिस वालों ने यह कहते हुये गिरफ्तार कर लिया कि दिसंबर 1996 और अक्टूबर 1997 के दौरान दिल्ली , रोहतक , सोनीपत और गाजियाबाद इत्तेयादी में हुये 19 मुखतलिफ़ धमाकों का ज़िम्मेदार तू ही है।
- जब मुतज़ाद नज़रीये ( परस्पर विरोधी विचार धारायें ) और मुखतलिफ़ ( विभित्र ) फ़त्वे ( निर्णय ) तक सहीह तस्लीम ( स्वीकार ) किये जाते हैं तो हैरत ( आश्चर्य ) है कि बअज़ नुमायां फ़राद के इक़्दामात को खताए इजतिहादी से क्यों तअबीर ( अभिप्राय ) किया जाता है।
- पिछले दिनों अख़बारों में मुख्तलिफ़ - मुखतलिफ़ साहित्य अकादमियों द्वारा घोषित पुरस्कारों की बहुत ख़बरे पढ़ने को मिली ! कुछ नाम तो वाकई ऐसे थे जिनका नाम एज़ाज़ मिलने वालों की फेहरिस्त में देख कर तना हुआ सर उनके एहतराम में झुक गया मगर कुछ नाम ऐसे भी थे जिन्हें जिस ज़ुबान की ख़िदमत के लिए एज़ाज़ दिया जा रहा था उनका उस ज़ुबान से अदबी सतह पर दूर - दूर तक कोई लेना -देना ही नहीं था !
- मेरी ग़ज़ल में हैं सहरा भी और समंदर भी ये ऐब है कि हुनर है मुझे ख़बर ही नहीं या ज़माने को तुम लूटना सीख लो या ज़माने के हाथों लुटो उम्र भर अभी तक नींद से पूरी तरह रिश्ता नहीं टूटा अभी आँखों को कुछ ख्वाबों की खातिर सोना पड़ता है मैं जिन लोगों से ख़ुद को मुखतलिफ़ महसूस करता हूँ मुझे अक्सर उन्हीं लोगों में शामिल होना पड़ता है उफ्फ्फ , हर शेर पहले से बढ़कर मिलता है.